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Auto dealers seek higher sales margin, cost reduction measures to tide over dwindling profitability
नयी दिल्ली। वाहनों डीलरों के संगठन फाडा ने वाहन विक्रेताओं का प्रति वाहन बिक्री मार्जिन बढ़ाकर कम से कम सात प्रतिशत करने की मांग की है। वाहन बाजार में लंबे समय से जारी सुस्ती और अब कोरोना वायरस महामारी की वजह से बिक्री में काफी गिरावट आई है। इससे डीलरों की परिचालन लागत बढ़ गयी है।
फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशंस (फाडा) ने वाहन कंपनियों से कहा है कि कारोबार को आर्थिक दृष्टि से व्यावहारिक बनाने के लिए डीलरशिप पर लागत ढांचे में कम से कम 20 प्रतिशत की कमी लाई जाए। वाहन विनिर्माताओं के संगठन सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) को लिखे पत्र में फाडा के अध्यक्ष आशीष हर्षराज काले ने मूल उपकरण विनिर्माताओं (ओईएम) या वाहन कंपनियों की ओर से तत्काल कार्रवाई की जरूरत बताई है। उन्होंने कहा कि ऊंची लागत और कम परिचालन मार्जिन की वजह से उनका मुनाफा लगातार कम हो रहा है।
काले ने कहा कि जहां कर्मचारियों का भुगतान, ब्याज लागत और किराया आसमान छू रहा है वहीं डीलरों का मार्जिन खर्च की तुलना में नहीं बढ़ रहा है। काले ने कहा कि भारतीय डीलर काफी कम तीन से पांच प्रतिशत के मार्जिन पर परिचालन करते हैं। दुनिया के अन्य देशों की तुलना में यह काफी कम है। उन्होंने कहा कि देश में वाहन डीलरशिप का कुल कारोबार पर औसत शुद्ध लाभ आधा से एक प्रतिशत तक ही है।
पत्र में कहा गया है कि पिछले 15 माह के दौरान वाहन बाजार में सुस्ती की वजह से डीलरों का यह मार्जिन भी प्रभावित हुआ है। बिक्री घटने से कई वाहन डीलर नुकसान में आ गए हैं। काले ने कहा कि भारत में डीलरशिप को कुल आमदनी का औसतन 85 प्रतिशत लागत पर खर्च करना पड़ता है। इसमें श्रमबल, ब्याज और ढांचे का खर्च मुख्य रूप से शामिल है।