अगरतलाः त्रिपुरा में चार महीने के एक बच्चे को इन आरोपों के बाद बचाया गया कि अत्यधिक गरीबी के कारण उसकी मां ने उसे 4,000 रुपये में बेच दिया था। यह घटना तब सामने आई जब सीपीआई (एम) के बिशालगढ़ उप-विभागीय समिति के सचिव पार्थ प्रथिम मजूमदार ने एक फेसबुक पोस्ट में आरोप लगाया कि सिपाहीजला जिले में बसुमती टी एस्टेट की एक महिला ने अत्यधिक गरीबी के कारण अपने बच्चे को 4,000 रुपये में बेच दिया। उन्होंने दावा किया कि महिला के चार बच्चे हैं और वह अकेली ही उनकी देखभाल कर रही है।
फेसबुक पोस्ट वायरल होने पर हुई कार्रवाई
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि जैसे ही पोस्ट वायरल हुई तो प्रशासन चाइल्ड लाइन की मदद से हरकत में आया और कर्मियों को उस झोपड़ी में भेजा जहां महिला रहती है। उन्होंने बताया कि जांच के दौरान बच्चा गोमती जिले के उदयपुर के एक जोड़े के पास पाया गया। वहां से बच्चे का रेस्क्यू करके पुलिस ने उसकी मां के पास लौटा दिया।
पुलिस को नहीं मिली कोई शिकायत
बिशालगढ़ की अतिरिक्त एसडीएम देबजानी चौधरी ने बताया कि प्रशासन को ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है कि बच्चे को उसकी मां ने बेचा है। ऐसा प्रतीत होता है कि महिला अपने पति से अलग हो गई है जो चाय बागान में मजदूर है। यह भी सच है कि जब हमारी टीम ने वहां का दौरा किया तो उनके पति गायब थे।
उन्होंने कहा कि महिला के परिवार को पारिवारिक राशन कार्ड के अलावा पीएम आवास योजना के तहत एक घर मिला, लेकिन वह अपने चार बच्चों के साथ चाय बागान के अंदर झोपड़ी में रहती है। उन्होंने कहा, "हम महिला को वित्तीय और अन्य सहायता देंगे।
छह बांग्लादेशी गिरफ्तार
उधर, एक अन्य घटना में त्रिपुरा से मुंबई जाने की योजना बना रहे तीन ट्रांसजेंडर लोगों समेत कुल छह बांग्लादेशी नागरिकों को पश्चिम त्रिपुरा जिले के एक रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया गया। शुक्रवार को एक अधिकारी ने बताया कि पकड़े गये सभी बांग्लादेशियों के पास भारत में रहने के लिए वैध दस्तावेज नहीं थे। उन्होंने कहा कि बांग्लादेशियों के एक समूह की आवाजाही के बारे में एक गुप्त सूचना के बाद, राजकीय रेल पुलिस (जीआरपी) एवं रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) की एक संयुक्त टीम ने बृहस्पतिवार को जिरानिया रेलवे स्टेशन पर निगरानी बढ़ा दी।
अगरतला जीआरपी थाने के प्रभारी तापस दास ने संवाददाताओं को बताया कि शाम करीब 4.30 बजे, जीआरपी कर्मियों ने प्लेटफॉर्म पर लोगों के एक समूह की संदिग्ध हरकत देखी। पूछे जाने पर उन्होंने दावा किया कि वे भारतीय हैं और त्रिपुरा के सिपाहीजाला जिले के बिशालगढ़ से आए हैं। हालांकि सख्ती से पूछताछ के बाद उन्होंने कबूल किया कि वे बांग्लादेश से आए हैं।
इनपुट- पीटीआई