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सुप्रीम कोर्ट ने 30 आर्मी अफसरों के खिलाफ क्रिमिनल केस किया रद्द, 14 नागरिकों की हत्या से जुड़ा था मामला

सुप्रीम कोर्ट ने आज एक सुनवाई के दौरान 30 आर्मी अफसरों के खिलाफ चल रहे क्रिमिनल केस रद्द कर दिया है।

Edited By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Published : Sep 17, 2024 16:17 IST, Updated : Sep 17, 2024 16:17 IST
सुप्रीम कोर्ट- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने आज साल 2021 में नागालैंड के मोन जिले में असफल आतंकवाद विरोधी अभियान में शामिल सैन्य कर्मियों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया। इस ऑपरेशन के दौरान 14 नागरिकों की जान गई थी, जिसके लिए अफसरों को हत्या के लिए जिम्मेदार माना गया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि उसका आदेश सेना को कर्मियों के खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई करने से नहीं रोकेगा।

सेना को कार्रवाई से छूट

जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस पी बी वराले की बेंच ने यह भी कहा कि यह आदेश सेना को कर्मियों के खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई करने से नहीं रोकेगा। नागालैंड सरकार ने एक अलग कार्यवाही में सैन्य कर्मियों पर मुकदमा चलाने की मंजूरी देने से इनकार करने को चुनौती दी है। कोर्ट ने एक मेजर रैंक के अधिकारी सहित कर्मियों की पत्नियों द्वारा दायर दो अलग-अलग याचिकाओं पर कार्यवाही बंद कर दी, जिन्होंने नागालैंड पुलिस द्वारा दर्ज मामले को बंद करने की मांग की थी।

पत्नियों ने की थी कार्यवाही बंद करने की मांग

अधिकारियों की पत्नियों ने इस आधार पर आपराधिक कार्यवाही को बंद करने की मांग की थीं कि आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर्स एक्ट (AFSPA) के तहत दी गई छूट के कारण राज्य सरकार के पास कर्मियों पर मुकदमा चलाने का कोई अधिकार नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "आरोपित FIR में कार्यवाही बंद रहेगी। हालांकि, यदि मंजूरी दी जाती है, तो इसे तार्किक निष्कर्ष तक ले जाया जा सकता है। अनुशासनात्मक कार्रवाई के बारे में हमने कहा है कि सशस्त्र बल आवश्यक कार्रवाई कर सकते हैं।"

नागालैंड सरकार की याचिका पर जारी हुआ था नोटिस

17 जुलाई को एससी ने नागालैंड सरकार की याचिका पर नोटिस जारी किया था, जिसमें नागरिकों की मौत के लिए 30 सैन्यकर्मियों पर मुकदमा चलाने की अनुमति देने से केंद्र के इनकार को चुनौती दी गई थी। इसके लिए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 3 जस्टिस की बेंच ने केंद्र को अपना जवाब दाखिल करने के लिए 6 सप्ताह का समय दिया।

नागालैंड सरकार ने क्या कहा था?

नागालैंड सरकार ने कहा था कि केंद्र ने पर्याप्त सबूत होने के बावजूद सैन्य कर्मियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए AFSPA के तहत मंजूरी देने से इनकार कर दिया है। वहीं, नियमों के अनुसार, जिन क्षेत्रों में AFSPA लागू है, वहां कार्यरत सैन्य कर्मियों के खिलाफ किसी भी कानूनी कार्यवाही के लिए केंद्र से मंजूरी की आवश्यकता होती है।

दिसंबर 2021 में क्या हुआ?

4 दिसंबर 2021 को उग्रवादी समझकर सेना की एक टीम ने कथित तौर पर नागालैंड के ओटिंग गांव में खनिकों को ले जा रहे एक ट्रक पर गोलीबारी की। इस घटना में 6 नागरिकों की मौत हो गई।

इस घटना के बाद इलाके में हिंसा भड़कने के बाद सुरक्षा बलों द्वारा कथित तौर पर की गई गोलीबारी में 8 और नागरिक मारे गए। इस हिंसा में सेना का 1 जवान भी मारा गया, इस दौरान 250 से अधिक लोग असम राइफल के संचालन अड्डे के पास जमा हो गए और उसमें तोड़फोड़ करने की कोशिश की।

वही, विपक्ष के भारी विरोध और दबाव के बीच, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा को संबोधित करते हुए कहा  था कि यह घटना "गलत पहचान" का मामला है।

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