आइजोल: असम की सीमा से लगे मिजोरम के कोलासिब जिले के जमीन मालिकों ने बुधवार शाम को अपना आंदोलन समाप्त कर दिया। कोलासिब जिला भूस्वामी संघ (केडीएलओए) के एक सदस्य ने यह जानकारी दी। प्रदर्शन समाप्त करने का निर्णय कोलासिब के उपायुक्त द्वारा प्रदर्शनकारियों को यह आश्वासन दिए जाने के बाद लिया गया कि वह राज्य स्तर पर उनकी मांगों पर विचार करेंगे। दो हजार से अधिक जमीन मालिकों ने वैरेंगटे और मुआलखांग के बीच एनएच-306 और एनएच-6 पर अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया था।
जमीन मालिको ने रोड को किया जाम
वे मालिकाना हक के मुद्दों के समाधान और निजी स्वामित्व वाली भूमि पर लगी रोक हटाने की मांग कर रहे हैं। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रदर्शन सुबह करीब छह बजे शुरू हुआ। इसके तहत एनएच-306 को जमीन मालिकों ने जाम कर दिया, लेकिन प्रदर्शन के बावजूद भी यातायात निर्बाध रूप से जारी रहा। व्यवस्था बनाए रखने के लिए सरकार ने प्रदर्शन स्थल पर पुलिसकर्मियों को तैनात किया, ताकि यातायात में कम से कम बाधा आए। हालांकि, पुलिस और आंदोलनकारियों के बीच झड़प हो जाने के कारण कुछ लोगों को मामूली चोटें भी आईं।
केडीएलओए ने दावा किया कि एनएच-306 और एनएच-6 से सटे भूखंडों पर लंबे समय से उनका कब्जा है लेकिन राज्य वन विभाग ने उन भूखंडों को सड़क किनारे आरक्षित वन (आरआरएफ) के रूप में नामित किया है, जिससे ये संपत्तियां ‘फ्रीज’ हो गई हैं। केंद्र ने पहले आइजोल जिले में एनएच-306 और एनएच-6 के चौड़ीकरण की परियोजना को मंजूरी दी थी, जिसका क्रियान्वयन राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) को सौंपा गया था।
सरकार ने दिया ये भरोसा
राज्य के वन और राजस्व विभागों के बीच गतिरोध के कारण परियोजना रुकी हुई है। केडीएलओए ने तर्क दिया कि जब चौड़ीकरण परियोजना की घोषणा की गई थी, तो वन विभाग ने राजमार्गों के दोनों ओर 800 मीटर की पट्टी को आरआरएफ घोषित किया था। हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने गुवाहाटी उच्च न्यायालय को तीन महीने के भीतर आरआरएफ अधिसूचना के संबंध में अपना निर्णय देने का निर्देश दिया और सुझाव दिया कि मिजोरम के मुख्य सचिव विवाद को सुलझाने के लिए वन तथा राजस्व विभागों के सचिवों के साथ बैठक करें।
इनपुट- भाषा