इंफाल: मणिपुर में जातीय हिंसा के धीरे-धीरे कम होने के बीच, राज्य के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने केंद्र की मदद से छह महीने में पूर्ण शांति बहाल करने का वादा किया है। इसके अलावा विपक्ष की ओर से लगातार इस्तीफे की मांग पर भी उन्होंने जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि उन्होंने न तो कोई अपराध किया है और न ही कोई घोटाला किया है, इसलिए वह पद से इस्तीफा नहीं देंगे। सीएम एन. बीरेन सिंह ने कहा कि उन्होंने कुकी-जो और मेइती नेताओं के साथ बातचीत करने के लिए एक दूत नियुक्त किया है। उन्होंने कहा कि ‘‘इस विवाद को बातचीत के जरिए ही सुलझाया जा सकता है। संवाद ही एक मात्र रास्ता है।’’ उन्होंने बताया कि नगा विधायक और ‘हिल एरिया कमेटी’ के अध्यक्ष डिंगांगलुंग गंगमेई को दूत नियुक्त किया गया है।
सीएम ने कहा- 'मैं सभी का मुख्यमंत्री हूं'
यह पूछे जाने पर कि शांति बहाल करने के वास्ते उन्होंने स्वयं के लिए क्या समय-सीमा तय की है? इस पर सीएम ने संकेत दिया कि शांति लाने में बातचीत के साथ-साथ केंद्र सरकार की भागीदारी अहम होगी, चाहे वह गृह मंत्रालय के माध्यम से हो या अन्य एजेंसी के माध्यम से। सीएम ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि यह (हिंसा) लंबे समय तक जारी रहेगी। शांति पांच-छह महीने में बहाल हो जानी चाहिए। यह हमारी उम्मीद है और मुझे पूरा भरोसा भी है।’’ दरअसल, सीएम एन, बीरेन सिंह मेइती समुदाय से संबंध रखते हैं और कुकी समुदाय के लोग उन पर खास भरोसा नहीं करते। हालांकि उन्होंने कहा, ‘‘मैं सभी का मुख्यमंत्री हूं।’’
नशाखोरी पर कार्रवाई के खिलाफ भड़की हिंसा
सीएम ने इस पूरी हिंसा के बारे में बात करते हुए कहा कि इस संघर्ष की शुरुआत 2017-2022 में मुख्यमंत्री के रूप में उनके पहले कार्यकाल से जुड़ी है, जब उन्होंने पड़ोसी म्यांमार से आने वाले प्रवासियों एवं नशीले पदार्थों के अवैध व्यापार पर नकेल कसी थी। म्यांमार की सीमा इंफाल से केवल 100 किलोमीटर दूर है। उन्होंने कहा कि उनकी इस कार्रवाई से प्रभावित हुए लोगों ने कुकी-मेइती संघर्षों को भड़काकर उनकी सरकार और राज्य को अस्थिर करने की साजिश रची। कुकी मुख्य रूप से पहाड़ी इलाकों में रहने वाली ईसाई जनजातियां हैं, जबकि मेइती मैदानी इलाकों और घाटियों में रहने वाले हिंदू हैं। कुकी जनजातियां म्यांमार में भी पाई जाती हैं।
मणिपुर हाई कोर्ट के फैसले की भी रही भूमिका
सीएम ने कहा कि मार्च 2023 में मणिपुर हाई कोर्ट के फैसले में मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की सिफारिश की गई, जिससे कुकी लोगों का गुस्सा और बढ़ गया तथा उन्हें लगा कि उनके अधिकारों को कमजोर किया जा रहा है। बहरहाल, सिंह की सरकार ने अदालत के आदेश को लागू नहीं किया, लेकिन तब तक कुकी छात्र समूहों का आंदोलन शुरू हो चुका था और जल्द ही यह पूर्ण हिंसा में बदल गया।
पीएम मोदी ने सारे प्रयास किए
पीएम मोदी के मणिपुर ना जाने के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री के आने या नहीं आने को लोगों ने मुद्दा बना लिया है। प्रधानमंत्री भले ही न आए हों, लेकिन उन्होंने अपने गृह मंत्री को भेजा है और प्रधानमंत्री ने मणिपुर के बारे में कई बार बात की है, स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से भी (उन्होंने मणिपुर पर बात की) और यहां सुरक्षा, वित्तीय मदद आदि के मामले में जो कुछ भी किया जा रहा है, वह उनके नेतृत्व में ही हो रहा है। जटिल परिस्थिति में प्रधानमंत्री का आना जरूरी नहीं था।’’
इस्तीफे की बात पर किया इनकार
वहीं लगातार इस्तीफे की उठ रही मांग पर सीएम एन. बीरेन सिंह ने कहा कि उनका अब पद छोड़ने का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे इस्तीफा क्यों देना चाहिए? क्या मैंने कुछ चुराया है? क्या मैंने कोई घोटाला किया है? क्या मैंने देश या राज्य के खिलाफ काम किया है? मैंने राज्य को अवैध प्रवास, अफीम की अवैध खेती से बचाया है। मेरा काम मणिपुर और इसके लोगों की रक्षा करना है। इस्तीफा देने का कोई सवाल ही नहीं है।’’
नहीं बनने देंगे अलग राज्य
इसके अलावा उन्होंने कुकी लोगों की अलग प्रशासन की मांग को भी खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘मणिपुर एक छोटा, मेहनतकश राज्य है। हमारे पूर्वजों का 2000 साल पुराना इतिहास है। इस राज्य को बनाने के लिए कई बलिदान दिए गए। इस राज्य को तोड़ा नहीं जा सकता और न ही अलग प्रशासन हो सकता है। हम ऐसा नहीं होने देंगे।’’ (इनपुट- एजेंसी)
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