मणिपुर में हिंसा के मद्देनजर केंद्र सरकार ने 5 जिलों को अशांत क्षेत्र घोषित करते हुए AFSPA लगा दिया है। इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से अधिसूचना जारी कर दी गई है। मणिपुर में ताजा हिंसा और बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर केंद्र सरकार ने यह फैसला लिया है। इससे पहले एक अक्तूबर 2024 को इन इलाकों को छह महीने के लिए AFSPA की अधिसूचना से बाहर कर दिया गया था।
जातीय हिंसा और अस्थिरता के चलते लिया फैसला
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा कि यह फैसला वहां जारी जातीय हिंसा के कारण लगातार अस्थिर स्थिति को देखते हुए लिया गया है। जिन पुलिस थाना क्षेत्रों में AFSPA को फिर से लागू किया गया है, वे हैं इंफाल पश्चिम जिले में सेकमाई और लमसांग, इंफाल पूर्वी जिले में लमलाई, जिरीबाम जिले में जिरीबाम, कांगपोकपी में लीमाखोंग और बिष्णुपुर में मोइरांग।
यह ताजा आदेश मणिपुर सरकार द्वारा एक अक्टूबर को इन छह पुलिस थानों समेत 19 थाना क्षेत्रों को छोड़कर पूरे राज्य में AFSPA लागू करने के बाद आया है। मणिपुर सरकार के एक अक्टूबर के AFSPA लगाने के आदेश से बाहर रहे पुलिस थानों में इंफाल, लाम्फाल, सिटी, सिंगजामेई, सेकमाई, लैमसांग, पाटसोई, वांगोई, पोरोम्पैट, हेइनगांग, लामलाई, इरिलबंग, लीमाखोंग, थौबल, बिष्णुपुर, नामबोल, मोइरंग, काकचिंग और जिरीबाम शामिल थे।
मणिपुर के जिरीबाम जिले में सोमवार को छद्म वर्दीधारी और अत्याधुनिक हथियारों से लैस उग्रवादियों द्वारा एक पुलिस थाने और निकटवर्ती सीआरपीएफ शिविर पर अंधाधुंध गोलीबारी की गयी। इसके बाद सुरक्षा बलों के साथ भीषण मुठभेड़ में ग्यारह संदिग्ध उग्रवादी मारे गए। एक दिन बाद, उसी जिले से सशस्त्र आतंकवादियों ने महिलाओं और बच्चों सहित छह नागरिकों का अपहरण कर लिया।
पिछले साल मई से इंफाल घाटी स्थित मेइती और समीपवर्ती पहाड़ियों पर स्थित कुकी-जो समूहों के बीच जातीय हिंसा में 200 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं। जातीय रूप से विविधतापूर्ण जिरीबाम, जो इंफाल घाटी और आसपास की पहाड़ियों में हुए संघर्षों से काफी हद तक अछूता रहा है, इस साल जून में एक खेत में एक किसान का क्षत-विक्षत शव मिलने के बाद हिंसा का गवाह बना।