मणिपुर में नेशनल पीपल्स पार्टी (NPP) और बीजेपी का गठबंधन खत्म हो चुका है। एनपीपी ने बीरेन सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को लिखे खत में एनपीपी की तरफ से कहा गया है कि बीरेन सिंह की सरकार मणिपुर में हिंसा रोकने में विफल रही है।
कॉनराड संगमा के नेतृत्व वाली नेशनल पीपुल्स पार्टी ने राज्य में मौजूदा कानून एवं व्यवस्था की स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की है। पार्टी ने कहा कि संकट से निपटने के तरीके और निर्दोष लोगों की जान जाने से असंतुष्ट होकर तत्काल प्रभाव से सरकार से समर्थन वापस लेने की घोषणा की है।
पत्र में क्या लिखा?
एनपीपी द्वारा जारी पत्र में कहा गया है, "हमें दृढ़ता से लगता है कि बीरेन सिंह के नेतृत्व में मणिपुर राज्य सरकार संकट को हल करने और सामान्य स्थिति बहाल करने में पूरी तरह विफल रही है। वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए, नेशनल पीपुल्स पार्टी ने मणिपुर राज्य में बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार से अपना समर्थन तत्काल प्रभाव से वापस लेने का निर्णय लिया है।" मणिपुर में एक बार फिर हिंसा भड़की हुई है। यहां पिछले साल मई के महीने से मैतेई और कुकी समुदाय के लोगों के बीच संघर्ष चल रहा है, जो एक बार फिर हिंसक रूप ले चुका है। तीन बच्चों और तीन महिलाओं की मौत के बाद यहां लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं।
नहीं गिरेगी बीरेन सिंह की सरकार
एनपीपी के साथ गठबंधन टूटना बीजेपी के लिए बड़ा झटका है। हालांकि, अभी भी राज्य में भाजपा सरकार बनी रहेगी। 60 सदस्यीय मणिपुर विधानसभा में बीजेपी के पास अभी भी बहुमत है। भाजपा के पास फिलहाल 37 सीटें हैं, जो बहुमत के लिए 31 से ज्यादा हैं। इसमें जनता दल (यूनाइटेड) के पांच विधायक शामिल हैं, जो 2022 के अंत में भाजपा में शामिल हुए थे। इसके अलावा, भाजपा को नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के पांच विधायकों, जेडी(यू) के एक विधायक और तीन निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन प्राप्त है।