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यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल हुआ ‘मोइदम’, चराइदेव में उत्सव का माहौल

राज्य सरकार ने 2023 में प्रधानमंत्री को एक डोजियर प्रस्तुत किया था और उन्होंने इसे वर्ष 2023-24 के लिए यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल करने के लिए भारत के नामांकन के रूप में प्रस्तुत करने के लिए स्मारकों की सूची में से चुना था।

Edited By: Shakti Singh
Published on: July 26, 2024 22:23 IST
Moidam- India TV Hindi
Image Source : X/MINISTRYOFCULTURE मोइदम

असम के चराइदेव जिले में अहोम राजवंश के सदस्यों को उनकी प्रिय वस्तुओं के साथ टीले नुमा ढांचे में दफनाने की 600 साल पुरानी व्यवस्था ‘मोइदम’ को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में जगह मिलने पर शुक्रवार को खुशी का माहौल रहा। यह घोषणा नयी दिल्ली में विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र के दौरान की गई जिसके बाद इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर जश्न मनाने की शुरुआत हो गई। कैबिनेट मंत्री जगन मोहन पारंपरिक अहोम पोशाक पहने हुए समारोह में शामिल हुए और लोगों की भीड़ के साथ गाते और नाचते नजर आए। 

कैबिनेट मंत्री जगन मोहन ने कहा, "यह असम और पूरे देश के लिए गर्व का क्षण है। हम इस निर्णय से रोमांचित हैं और इस सपने को साकार करने के लिए पिछले दो वर्षों में अथक परिश्रम करने वाले सभी लोगों को धन्यवाद देते हैं।" पिरामिड जैसे दिखाई देने वाले इन टीलों का उपयोग ताई-अहोम राजवंश द्वारा किया गया था। इस राजवंश ने 1228 और 1826 के बीच लगभग 600 वर्षों तक असम पर शासन किया था। 

सरकार ने 2023 में की थी पहल

राज्य सरकार ने 2023 में प्रधानमंत्री को एक डोजियर प्रस्तुत किया था और उन्होंने इसे वर्ष 2023-24 के लिए यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल करने के लिए भारत के नामांकन के रूप में प्रस्तुत करने के लिए स्मारकों की सूची में से चुना था। स्थानीय संगठनों के सदस्यों के साथ-साथ आम जनता ने भी 'मोइदम' के मुख्य प्रवेश द्वार के बाहर पटाखे फोड़े और उत्सव में भाग लिया। राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता देवव्रत सैकिया ने 'मोइदम' को विश्व धरोहर स्थलों में शामिल कराने के लिए वर्तमान और पिछली सरकारों के प्रति आभार व्यक्त किया। 

विपक्ष के नेता ने भी की तारीफ

देवव्रत सैकिया ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर लिखा, “रोमांचक समाचार! अहोम लोगों की पवित्र कब्रगाह चराइदेव अब यूनेस्को का विश्व धरोहर स्थल है, असम की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का जश्न मना रहा हूं।” असम जातीय परिषद (एजेपी) के अध्यक्ष लुरिनज्योति गोगोई ने भी घोषणा का स्वागत किया। ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (एएएसयू) के सलाहकार समुज्जल कुमार भट्टाचार्य ने भी इस पर संतोष व्यक्त किया। (इनपुट- पीटीआई भाषा)

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