Wednesday, December 25, 2024
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असम में आतंकी संगठन के सहयोगी एबीटी के दो सदस्य गिरफ्तार, एसटीएफ ने कसा शिकंजा

अल-कायदा इन इंडियन सबकॉन्टिनेंट (एक्यूआईएस) आतंकवादी संगठन के सहयोगी एबीटी के दो और सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है। इससे पहले आठ सदस्य गिरफ्तार किए जा चुके हैं।

Edited By: Mangal Yadav @MangalyYadav
Published : Dec 25, 2024 12:04 IST, Updated : Dec 25, 2024 13:03 IST
सांकेतिक तस्वीर
Image Source : ANI सांकेतिक तस्वीर

गुवाहाटीः असम पुलिस के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) के दो और सदस्यों को गिरफ्तार किया है।  इससे पहले एसटीएफ ने असम पश्चिम बंगाल और केरल से अल-कायदा इन इंडियन सबकॉन्टिनेंट (एक्यूआईएस) आतंकवादी संगठन के सहयोगी एबीटी के 8 सदस्यों को गिरफ्तार किया था। एसटीएफ ने बताया कि आठ में से 5 को असम के कोकराझार और धुबरी जिले से, दो को पश्चिम बंगाल से और एक बांग्लादेशी नागरिक को केरल से गिरफ्तार किया गया था। 

 'ऑपरेशन प्रघट' के तहत हुई कार्रवाई

जांचकर्ताओं का मानना ​​है कि यह मॉड्यूल सक्रिय रूप से स्थानीय युवाओं की भर्ती कर रहा था और उन्हें कट्टरपंथी बना रहा था। साथ ही संवेदनशील सिलीगुड़ी कॉरिडोर सहित पूर्वी क्षेत्र में अपने संचालन का विस्तार करने की योजना बना रहा था। 'ऑपरेशन प्रघट' के तहत एसटीएफ के संयुक्त अभियान से समूह के नेटवर्क की सीमा का पता चला। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में दो गुर्गों अब्बास अली और मिनारुल शेख को हिरासत में लिया गया। 

संदिग्ध आतंकियों को मिले थे ये काम

अधिकारियों का कहना है कि एबीटी के संस्थापक जसीमुद्दीन रहमानी के लेखन के प्रभाव में इन दोनों का उद्देश्य युवाओं को शिक्षित करना और स्लीपर सेल बनाना था। मिनारुल, एक पंप मैकेनिक, कथित तौर पर समान विचारधारा वाले व्यक्तियों की तलाश करता था, जबकि अब्बास, जिसे पहले पोक्सो मामले में गिरफ्तार किया गया था, एबीटी विचारधारा का प्रचार करने के लिए एक शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने में शामिल था। 

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि किताबें, मोबाइल डिवाइस, सिम कार्ड और 16 जीबी पेन ड्राइव सहित जब्त की गई वस्तुओं में भारत विरोधी प्रचार और आतंकी योजना के महत्वपूर्ण सबूत थे। जांच में हाल ही में केरल में गिरफ्तार किए गए मोहम्मद साद रबी के नेतृत्व में एबीटी के क्षेत्रीय अभियानों के लिंक भी उजागर हुए हैं। आगे की जांच से पता चलता है कि एबीटी और पाकिस्तान समर्थित तहरीक-उल-मुजाहिदीन (टीयूएम) अपने पदचिह्न का विस्तार करने के लिए स्थानीय कमजोरियों का फायदा उठा रहे थे।

इनपुट- एएनआई

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