असम में अवैध कोयला खदान में मजूदरों के फंसने पर राजनीति शुरू हो चुकी है। गुरुवार को विपक्षी दलों ने अवैध कोयला खदान में खनिकों के फंसने की घटना को लेकर असम सरकार की आलोचना की और कहा कि यह घटना प्रशासन की "घोर लापरवाही" के कारण हुई। विपक्ष ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए न्यायिक जांच की मांग की। कांग्रेस ने शुक्रवार को सभी जिला मुख्यालयों पर धरना देने की घोषणा की है, वहीं मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के कई सहयोगी संगठनों ने प्रशासन की "लापरवाही" के विरोध में गुवाहाटी में प्रदर्शन किया।
असम के दीमा हसाओ जिले में एक अवैध कोयला खदान में फंसे खनिकों का पता लगाने के लिए गुरुवार को चौथे दिन भी कई राज्य और केंद्रीय एजेंसियों का बचाव अभियान जारी है। गुवाहाटी से लगभग 250 किलोमीटर दूर उमरंगसो क्षेत्र में सोमवार को 3 किलो कोयला खदान में अचानक पानी भर जाने के कारण मजदूर उसमें फंस गए थे। एक खनिक का शव बरामद कर लिया गया है, जबकि आठ अब भी लापता हैं।
जिला मुख्यालयों पर धरना प्रदर्शन करेगी कांग्रेस
असम प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेन कुमार बोरा ने यहां संवाददाताओं से कहा, “ इतनी बड़ी घटना के बावजूद पुलिस, सीबीआई, आयकर - सभी चुप हैं। क्या कानून प्रवर्तन एजेंसियां इस घटना के दोषियों को पकड़ने के लिए कोई कार्रवाई करेंगी?” उन्होंने असम में कोयला सिंडिकेट में शामिल लोगों की तत्काल गिरफ्तारी और औद्योगिक श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की। बोरा ने आरोप लगाया, “घटना के विरोध में कांग्रेस कल सभी जिला मुख्यालयों पर धरना-प्रदर्शन करेगी। अब तक किसी जांच के आदेश नहीं दिए गए हैं और सरकार दोषियों को गिरफ्तार करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।”
अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग
सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स (सीआईटीयू), स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) और डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाईएफआई) जैसे वामपंथी समूहों ने गुवाहाटी में संयुक्त विरोध प्रदर्शन किया और अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। असम जातीय परिषद (एजेपी) के प्रमुख एल.गोगोई ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह वास्तविक अपराधियों के बजाय "छद्म अपराधियों" को गिरफ्तार करके मामले को दबाने का प्रयास कर रही है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की असम इकाई ने भी न्यायिक जांच और प्रभावित परिवारों को पर्याप्त मुआवजा देने की मांग की। टीएमसी की राज्यसभा सदस्य सुष्मिता देव ने कहा “इस घटना के बाद कई अनुत्तरित प्रश्न हैं। इस खदान का मालिक कौन है? क्या यह अवैध खदान नहीं है? फिर यह खदान इतने लंबे समय तक कैसे चल सकी?" (इनपुट- पीटीआई भाषा)