इतिहास गवाह है। हर आंदोलन के बाद एक नई राजनीति की शुरुआत होती है। नए मुद्दों पर लोगों का समर्थन मिलता है। सवाल ये है कि क्या किसानों के मुद्दे पर दिल्ली के बॉर्डर घेरने वाले किसान नेता अब वोट की राजनीति करेंगे। क्या किसानों का नाम लेकर चुनावी राज्यों में जाएंगे। क्या वोटरों के मन में सरकार के खिलाफ प्रोपेगेंडा चलाएंगे।