आइजोल: सियासत एक ऐसी चीज है जो हमारे जीवन पर जबरदस्त तरीके से असर डालती है। इस बात से कोई फर्क ही नहीं पड़ता कि हम सियासत में कितनी दिलचस्पी लेते हैं। यह भी सच है कि लोकतंत्र में एक-एक वोट का अपना ही महत्व होता है और इस बात को मिजोरम कांग्रेस के कद्दावर नेता आर. एल. पियानमाविया से बेहतर कौन जानता होगा। 2008 और 2013 के चुनावों में विजयरथ पर सवार पियानमाविया 2018 में जमीन पर आ गिरे थे।
सिर्फ 3 वोटों से चुनाव हार गए थे पियानमाविया
आर. एल. पियानमाविया मिजोरम कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में गिने जाते थे और 2018 के चुनावों में भी उनके जीतने की प्रबल संभावना मानी जा रही थी। तुईवॉल विधानसभा क्षेत्र के महारथी के सामने मिजो नेशनल फ्रंद के लालछंदमा राल्टे खड़े थे। इन दोनों ही नेताओं के बीच जोरदार मुकाबला हुआ और जब नतीजे आए तो पियानमाविया के होश उड़ गए। पियानमाविया को जहां 5204 वोट मिले थे वहीं लालछंदमा के हिस्से 5207 वोट आए थे। इस तरह लालछंदमा सिर्फ 3 वोटों के अंतर से चुनाव जीत गए थे और पियानमाविया को निराशा हाथ लगी थी।
2018 में हो गई थी कांग्रेस की विदाई
2018 के विधानसभा चुनाव सिर्फ पियानमाविया के लिए ही नहीं, बल्कि उनकी पार्टी कांग्रेस के लिए भी दुस्वप्न साबित हुए थे। इन चुनावों में कांग्रेस सिर्फ 5 सीटें जीत पाई थी और उसे सत्ता से हाथ धोना पड़ा था। दूसरी तरफ मिजो नेशनल फ्रंट का प्रदर्शन शानदार रहा था और जोरामथांगा एक बार फिर सूबे के मुख्यमंत्री बने थे। कांग्रेस न सिर्फ सत्ता से बाहर हुई थी, बल्कि सूबे में तीसरे नंबर की पार्टी बन गई थी। दूसरे नंबर पर लालदुहावमा की पार्टी जोराम पीपुल्स मूवमेंट थी जिसने 8 सीटों पर जीत दर्ज की थी।