जयपुर: राजस्थान के टोंक जिले के निवाई में कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी 10 सितंबर को इंदिरा रसोई ग्रामीण योजना की शुरुआत करेंगी। इंदिरा रसोई ग्रामीण योजना की शुरुआत को लेकर तैयारियां युद्धस्तर पर चल रही है। झिलाई गांव के विवेकानंद मॉडल स्कूल में योजना का शुभारंभ करने के बाद कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी का सभा को संबोधित करने का कार्यक्रम है। सभा में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा समेत वरिष्ठ कांग्रेस नेता और मंत्री मौजूद रहेंगे।
राजनीतिक फायदे के लिए अहम मानी जा रही यह योजना
तैयारियों के तहत टोंक, जयपुर और दौसा के नेताओं को सभा में भीड़ जुटाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। अभी तक शहरों में 8 रुपये में खाना परोसने की योजना चल रही है। गहलोत ने गांवों में भी इंदिरा रसोई से सस्ता भोजन उपलब्ध कराने की घोषणा की थी। इसे इंदिरा रसोई ग्रामीण योजना के नाम से चलाया जाएगा। चुनावी साल में शहरों और गांवों में 8 रुपये में खाना मुहैया कराने की योजना को राजनीतिक फायदे के लिए अहम माना जा रहा है।
महिला मतदाताओं को लुभाने की कोशिश
महिला मतदाताओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए गहलोत सरकार ने हाल ही में 25 लाख महिलाओं को मुफ्त स्मार्टफोन वितरित किए। इंदिरा प्रियदर्शिनी निधि, मुफ्त राशन समेत कई योजनाएं शुरू की गई हैं। इन योजनाओं के जरिए कांग्रेस अब विधानसभा चुनाव में महिला मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रही है। प्रियंका गांधी की सभा और इंदिरा रसोई ग्रामीण योजना की शुरुआत के पीछे यही रणनीति है।
बड़े नेताओं से योजना की लॉन्चिंग क्यों करवा रहे गहलोत?
गांधी शुरू से ही विधानसभा चुनाव वाले राज्यों में सक्रिय रूप से प्रचार कर रही हैं। कर्नाटक और हिमाचल के चुनावों में उन्होंने बड़ी-बड़ी सभाएं कीं। अब इसका विस्तार राजस्थान में भी किया जा रहा है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक आलाकमान के वरिष्ठ नेताओं की योजनाओं की लॉन्चिंग के पीछे की रणनीति बड़ा संदेश देगी।
इससे पहले 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस पर बांसवाड़ा के मानगढ़ धाम में राहुल गांधी की सभा आयोजित की गई थी। कांग्रेस ने 6 सितंबर को भीलवाड़ा के गुलाबपुरा में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की सभा आयोजित की थी। जिसमें खड़गे ने कामधेनु बीमा योजना की शुरुआत की। खरगे की सभा के ठीक चार दिन बाद टोंक के निवाई में प्रियंका गांधी की सभा की घोषणा कर दी गई है। आलाकमान से जुड़े नेताओं की मुलाकात के पीछे एक राजनीतिक रणनीति भी है। विशेषज्ञों का कहना है कि सीएम, कांग्रेस के आंतरिक राजनीतिक समीकरणों को साधने की कोशिश कर रहे हैं।
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