आइजोल: महिंद्रा एंड महिंद्रा फाइनेंशियल सर्विस लिमिटेड के फाइनेंशियल फ्रॉड मामले में पुलिस ने आज एक और आरोपी को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने जानकारी देते हुए कहा कि प्राइवेट नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी से 150 करोड़ रुपये की फाइनेंशियल फ्रॉड में एक और व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है, जिससे राज्य में कुल गिरफ्तार लोगों की संख्या 12 हो गई है। अ
हो रही बड़े पैमाने पर जांच
अधिकारी ने कहा, आखिरी व्यक्ति को जांच के दौरान 9 मई को गिरफ्तार किया गया। आगे कहा, “सभी 12 आरोपियों को जेल भेज दिया गया है। मामले की बड़े पैमाने पर जांच चल रही है।” बता दें कि इससे पहले पुलिस ने फर्जी बैंक अकाउंट खोलकर और महिंद्रा एंड महिंद्रा फाइनेंशियल सर्विस लिमिटेड के कम से कम 2000 घोस्ट कस्टमर के लिए फर्जी लोन एप्लीकेशन तैयार करके 150 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोप में धोखाधड़ी के मास्टरमाइंड जाकिर हुसैन (41) सहित 11 लोगों को गिरफ्तार किया था।
दी गई थी शिकायत
मिजोरम के डीजीपी अनिल शुक्ला ने बताया था कि ये घटना 20 मार्च को सामने आई जब MMFSL के सर्कल हेड अंकित बागरी ने मिजोरम क्षेत्र के पूर्व बिजनेस मैनेजर के खिलाफ दायर शिकायत के आधार पर आइजोल पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कराया। शिकायत में असम के तेजपुर निवासी जाकिर हुसैन पर वाहन लोन डिस्ट्रीब्यूशन में हेराफेरी करने का आरोप लगाया। जानकारी दे दें कि महिंद्रा एंड महिंद्रा फाइनेंशियल सर्विस लिमिटेड (MMFSL) गाड़ियों के लिए लोन देने का काम करती है।
पूर्वोत्तर की सबसे बड़ी धोखाधड़ी
डीपीजी ने कहा कि MMFSL के बिजनेस हेड चनप्रीत सिंह की शिकायत पर 29 मार्च को आइजोल के क्राइम एंड इकोनॉमिक ऑफेंस पुलिस स्टेशन में एक और मामला दर्ज किया गया था। एसआईटी की 11 सदस्यीय टीम की जांच में इस धोखाधड़ी का खुलासा हुआ, जिसे न केवल मिजोरम में बल्कि पूरे पूर्वोत्तर में सबसे बड़ी धोखाधड़ी माना जाता है।
फर्जी बिजनेस हेड बन दिया फ्राड
उन्होंने कहा था कि हुसैन और एच लालथैंकिमा (ऑफिस स्टाफ) और एडेन्थरा (बिजनेस एक्जीक्यूटिव) सहित कुछ शाखा कर्मचारियों ने धोखाधड़ी की साजिश रची, कंपनी के बिजनेस हेड बन नकली टिकटें, मुहरें और डाक्यूमेंट तैयार किए। 2020 में मिजोरम ग्रामीण बैंक की खटला में "महिंद्रा" नाम से मिलता-जुलता बैंक अकाउंट खोला।
3 साल तक चलाया बैंक अकाउंट
उन्होंने कहा कि घोटाले में शामिल 5 कार डीलरों से धोखाधड़ी का पैसा लेने के लिए बैंक खाता 3 साल तक चलाया गया। हुसैन ने पिछले 4 वर्षों के दौरान 2000 से अधिक घोस्ट कस्टमर को फर्जी डाक्यूमेंट और फाइलें बनाकर गाड़ी के लिए लोन पास किए। हालांकि, डीजीपी ने कहा कि हुसैन और उसके सहयोगियों ने कभी भी फर्जी ग्राहकों को वाहन नहीं दिए, बल्कि रियायती कीमतों पर अन्य व्यक्तियों को बेच दिए।
बता दें कि पुलिस ने हुसैन को 29 मार्च को गिरफ्तार किया गया था, जबकि एच लालथैंकिमा और एडेनथारा को 2 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था और सुनार को एसआईटी ने 3 अप्रैल को गिरफ्तार किया।
ऐसे देते थे घटना को अंजाम
कंपनी के ऑडिट से पहले, हुसैन कंपनी के ऑफिस से फर्जी दस्तावेज और फाइलें निकाल लेता था और उन्हें अपने अन्य सहयोगी मनोज सुनार के घर पहुंचा देता था। वह सुनार को फर्जी कामों में मदद करने के लिए हर महीने 15,000 रुपये देता था। डीजीपी ने कहा था कि मनोज के घर की तलाशी के दौरान एसआईटी ने 7 बोरे बरामद किए जिनमें 2022 से 2024 तक की 549 फाइलें और 25 जाली टिकटें थीं।
अकाउंट भी फ्रीज
पुलिस ने 26 बैंक खातों में लगभग 2.5 करोड़ रुपये की राशि और कार डीलरों के 1 करोड़ रुपये के अकाउंट भी फ्रीज कर दिए हैं। कार डीलरों ने लगभग 3.47 करोड़ रुपये सीधे एमएमएफएसएल को लौटा दिए हैं। शुक्ला ने कहा था कि आरोपियों के पास से 3 करोड़ रुपये कीमत की 15 नई कारें भी बरामद की गई हैं। उन्होंने कहा था कि अन्य बरामदगी में 3 लैपटॉप, 10 मोबाइल फोन, 549 ग्राहकों की फाइलें, 25 जाली मुहरें, 30 सिम कार्ड, दो निजी डायरी और कई अन्य दस्तावेज शामिल हैं।
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