मणिपुर में जारी हिंसा के बीच पड़ोसी राज्य मिजोरम में मैतेई समुदाय के लोगों को धमकी मिली है। मिजोरम में पूर्व उग्रवादियों के एक संगठन ने मणिपुर से आए मैतेई लोगों को उनकी अपनी सुरक्षा के लिए मिजोरम छोड़ने को कहा है। इसके बाद मिजोरम सरकार ने राजधानी आइजोल में मैतेई लोगों के लिए सुरक्षा की व्यवस्था की है। पीस एकॉर्ड एमएनएफ रिटर्न्स एसोसिएशन (पीएएमआरए) ने शुक्रवार को कहा कि मिजोरम में स्थिति तनावपूर्ण हो गई है, इसलिए मैतेई लोगों को अपनी खुद की सुरक्षा के लिए मिजोरम छोड़ देना चाहिए, क्योंकि पड़ोसी जातीय संघर्षग्रस्त राज्य में दो महिलाओं को नग्न घुमाए जाने की घटना पर मिजोरम के युवाओं में गुस्सा है।
"क्षति के लिए वे खुद जिम्मेदार होंगे"
पीएएमआरए ने कहा कि मिजोरम के सभी मैतेई लोगों से अपील है कि वे सुरक्षा उपाय के तौर पर अपने गृह राज्य चले जाएं। एसोसिएशन ने यह भी चेतावनी दी कि यदि मैतेई अपील की अनदेखी करते हैं और मिजोरम नहीं छोड़ते हैं, तो उनकी सुरक्षा को होने वाली क्षति के लिए वे खुद जिम्मेदार होंगे। संगठन के महासचिव सी लालथेनलोवा ने कहा, यह सुरक्षा के लिए एक सामान्य अपील थी और इसे आदेश या चेतावनी नहीं माना जाना चाहिए। उन्होंने कहा, अपील केवल मणिपुर के मैतेई लोगों के लिए है।
मैतेई लोगों के लिए सुरक्षा व्यवस्था
वहीं, मिजोरम सरकार के सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि यह सुनिश्चित करने के लिए पहले ही कमद उठाए जा चुके हैं कि किसी भी मैतेई लोग को नुकसान न पहुंचे। जानकारी के मुताबिक, मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथांगा ने मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को मिजोरम में मैतेई लोगों की सुरक्षा का आश्वासन दिया है। सूत्रों ने कहा कि इस घटनाक्रम के बाद मणिपुर सरकार ने मिजोरम और केंद्र के साथ फिर से चर्चा की।मणिपुर और असम के मैतेई समुदाय
बता दें कि मिजोरम में हजारों मैतेई लोग रहते हैं, जिनमें छात्र भी शामिल हैं। इनमें से ज्यादातर मैतेई लोग मणिपुर और असम के हैं। मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या करीब 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी, जिनमें नागा और कुकी शामिल हैं, 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं।