मिजोरम में 7 नवंबर को विधानसभा की सभी 40 सीटों के लिए मतदान हुआ। चुनाव के नतीजे 3 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे। मतदान के बाद मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) के अध्यक्ष और मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथांगा ने भरोसा जताया कि उनकी पार्टी सत्ता बरकरार रखने में कामयाब होगी। मिजोरम के पूर्ण राज्य बनने के बाद ये 9वीं बार विधानसभा का चुनाव हुआ है। इस बार 16 महिलाएं सहित 174 उम्मीदवार चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। सत्तारूढ़ एमएनएफ, विपक्षी कांग्रेस और जोरम पीपल्स मूवमेंट सभी सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं, जबकि बीजेपी ने 23 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं।
"केंद्र में NDA सरकार का हिस्सा"
आइजोल उत्तर-2 सीट पर अपना वोट डालने से पहले जोरमथांगा ने कहा, "मुझे पूरा विश्वास है कि हम पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने में कामयाब होंगे।" मुख्यमंत्री जोरमथांगा आइजोल ईस्ट-1 सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। MNF केंद्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली NDA सरकार का हिस्सा है, लेकिन मिजोरम में पार्टियां गठबंधन में नहीं हैं। जोरमथंगा ने कहा कि अगर एमएनएफ पूर्ण बहुमत पाने में विफल रहता है, तो भगवा पार्टी के साथ किसी भी तरह के गठबंधन का सवाल है।
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"गठबंधन के लिए कोई बात नहीं हुई"
उन्होंने कहा, ''मिजोरम में त्रिकोणीय मुकाबला नहीं रहेगा। यहां एमएनएफ सरकार होगी, मुझे इस पर पूरा भरोसा है। मिजोरम में हमारा बीजेपी या किसी अन्य पार्टी के साथ कोई गठबंधन नहीं है।" उन्होंने कहा, "अभी तक बीजेपी ने हमसे किसी गठबंधन के लिए संपर्क नहीं किया है और हमने भी उनसे बात नहीं की है। हम केंद्र में एनडीए के भागीदार हैं, लेकिन हम केवल मुद्दों के आधार पर उनका समर्थन करते हैं।"
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"शरणार्थियों का मुद्दा चुनाव जीताने में अहम"
मिजोरम ने म्यांमार से लगभग 33,000 शरणार्थियों, बांग्लादेश से लगभग 800 और मणिपुर में जातीय संघर्षों से विस्थापित 13,000 से अधिक लोगों को आश्रय दिया है। सीएम ने कहा कि एमएनएफ के चुनाव जीतने में शरणार्थियों का मुद्दा अहम भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा, "म्यांमार, बांग्लादेश और मणिपुर के शरणार्थी जो वर्तमान में मिजोरम में शरण ले रहे हैं, उनकी समस्या इस चुनाव में एमएनएफ के लिए एक बड़ा प्लस प्वॉइंट है, क्योंकि इन लोगों को राज्य सरकार पर भरोसा है। उन्हें भोजन और आश्रय देने के लिए मिजोरम में एमएनएफ सरकार की जरूरत है।"
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