मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथांगा ने मंगलवार को कहा कि मणिपुर में हिंसक जातीय संघर्ष ने पूरे मिजो समाज को गहरा दुख पहुंचाया, जिससे पूरे देश को गहरा दर्द हुआ है। मुख्यमंत्री ने असम राइफल्स मैदान में 77वें स्वतंत्रता दिवस के समारोह के मौके पर तिरंगा फहराने के बाद यह बात कही। उन्होंने कहा कि 3 मई के बाद से मणिपुर में दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय घटनाओं की एक श्रृंखला ने पूरे मिजो समाज को बहुत गहरा दुख पहुंचाया है। मुख्यमंत्री जोरमथांगा ने कहा कि मणिपुर में राजनीतिक और जातीय उथल-पुथल की शुरुआत के बाद से मिजोरम सरकार ने कड़ी निगरानी रखी है। इंफाल में फंसे मिजोस, खासकर विभिन्न विषयों के छात्रों की सुरक्षा के लिए कई कदम उठाए हैं।
2,509 विस्थापित लोग मिजोरम आ चुके हैं
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने मणिपुर के आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों के लिए तुरंत राहत और पुनर्वास उपाय किए, जिन्होंने मिजोरम में आश्रय मांगा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने मिजोरम के 264 निवासियों को एयरलिफ्ट करने और निकालने के लिए 36 लाख रुपये से अधिक खर्च किए। 18 जुलाई तक मणिपुर से लगभग 12,509 विस्थापित लोग मिजोरम आ चुके हैं। उन्होंने कहा कि मणिपुर के विस्थापित लोगों को समायोजित करने के लिए आइजोल और अन्य जिलों में राहत शिविर स्थापित किए गए हैं। मिजोरम में शरण लेने वालों को 2,388.50 क्विंटल से अधिक खाद्यान्न वितरित किया गया है।
राहत-आश्रय के लिए 5 करोड़ रुपये आवंटित
इसके अलावा मुख्यमंत्री ने कहा कि यह देखकर खुशी होती है कि कैसे नागरिक समाज, गैर-सरकारी संगठनों, चर्च निकायों और व्यक्तियों ने इन प्रभावित लोगों को राहत और आश्रय प्रदान करने के लिए नकद और वस्तु दोनों रूप में भारी योगदान दिया है। राज्य सरकार ने उनकी राहत और आश्रय के लिए 5 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से मिजोरम में शरण लेने वाले मणिपुर के इन विस्थापित लोगों को आवश्यक सुविधाएं प्रदान करने के लिए कम से कम 10 करोड़ रुपये मंजूर करने का अनुरोध किया है।