आइजोल: मिजोरम के शीर्ष छात्र संगठन मिजो जिरलाई पावल (एमजेडपी) ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाने और मुक्त आवाजाही व्यवस्था (एफएमआर) को खत्म करने के केंद्र सरकार के फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है। राज्य के राज्यपाल हरि बाबू कंभमपति के माध्यम से भेजे गए पत्र में एमजेडपी ने भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाने के केंद्र के फैसले पर चिंता व्यक्त करते हुए विरोध प्रकट किया।
छात्र संगठन ने बताई ये वजह
इसमें कहा गया है कि भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाने और एफएमआर को खत्म करने से भारत एवं म्यांमा में रहने वाले मूलनिवासी 'जो' लोग "विभाजित" हो जाएंगे। संगठन ने सोमवार को पत्र में कहा, "हालांकि 'जो' लोगों को औपनिवेशिक काल से ही प्रशासनिक प्रभाग और औपनिवेशिक युग के बाद अंतरराष्ट्रीय सीमा द्वारा विभाजित किया गया है लेकिन हम अलग महसूस नहीं करते हैं। इसमें कहा गया,''यह (एफएमआर) हमें एक-दूसरे के अंतिम संस्कार, विवाह समारोहों में भाग लेने, मरीजों से मिलने, धार्मिक बैठकों में भाग लेने और स्थानीय स्तर के खेल प्रतिस्पर्धा में शामिल होने में सक्षम बनाता है।
सरकार से की ये अपील
एफएमआर को समाप्त करने का फैसला इस आवश्यक सुविधा को छीन लेगा और दुनिया भर के अन्य समुदायों की तरह हमें, मनुष्य के रूप में हमारे अधिकारों से वंचित कर देगा।'' संगठन ने केंद्र सरकार से भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाने और एफएमआर को खत्म करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह करते हुए कहा कि स्वदेशी 'जो' समुदायों को विभाजित करने वाली कार्रवाइयों का सहारा लिए बिना मादक पदार्थ और अन्य चीजों की तस्करी जैसी चिंताओं को दूर करने के लिए वैकल्पिक उपायों का पता लगाया जा सकता है।
गृह मंत्री ने कही थी ये बातें
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को गुवाहाटी में कहा था कि सरकार म्यांमा सीमा पर लोगों की मुक्त आवाजाही को बंद करेगी और इसकी पूरी तरह से बाड़बंदी करेगी। शाह के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहावमा ने कहा था कि राज्य सरकार के पास केंद्र सरकार के फैसले को रोकने का अधिकार नहीं है लेकिन वह अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बाड़ लगाने और एफएमआर को खत्म करने का कड़ा विरोध करती है।
इनपुट-(भाषा)