मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) के साथ चुनाव-पूर्व गठबंधन की बातचीत सफल नहीं होने के बाद कांग्रेस ने मिजोरम में अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है। कांग्रेस के एक नेता ने गुरुवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस मिजोरम की एकमात्र लोकसभा सीट के लिए आज अपने उम्मीदवार का नाम घोषित करेगी। मिजोरम में 19 अप्रैल को मतदान होगा। कांग्रेस 1987 से लगभग 20 सालों तक मिजोरम में सत्ता में रही थी। बता दें कि कांग्रेस और एमएनएफ सत्तारूढ़ जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) के खिलाफ संयुक्त रूप से लड़ने के लिए चुनाव-पूर्व गठबंधन बनाने के लिए बातचीत कर रहे थे।
MNF के साथ नहीं बनी बात
कांग्रेस नेता ने कहा कि गठबंधन पर एमएनएफ के साथ सहमति नहीं बन पाई, हमने अब अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव 19 अप्रैल से शुरू हो जाएंगे और 4 जून को नतीजे आएंगे। 7 चरणों में लोकसभा के चुनाव होंगे जिसमें से पहला चरण 19 अप्रैल को, दूसरा चरण 26 अप्रैल, तीसरा चरण 7 मई को, चौथा चरण 13 मई, पाचवां चरण को 20 मई, छठा 25 मई और सातवें चरण का मतदान 1 जून को होगा। बता दें कि मिजोरम में 19 अप्रैल को वोटिंग होगी।
मिजोरम में वोट नहीं कर पाएंगे शरणार्थी मणिपुरी
अपने गृह राज्य में जातीय हिंसा के बाद मिजोरम में शरण लेने वाले मणिपुर के कुकी-जो समुदाय के हजारों लोग लोकसभा चुनाव में अपने मताधिकार का इस्तेमाल संभवत: नहीं कर पाएंगे। निर्वाचन आयोग के एक अधिकारी ने कहा कि मणिपुर के आंतरिक रूप से विस्थापित इन लोगों (आईडीपी) के लिए मतदान की अब तक कोई व्यवस्था नहीं की गई है। मिजोरम गृह विभाग के आंकड़ों के अनुसार, पड़ोसी मणिपुर के कुल मिलाकर 9,196 वयस्कों और बच्चों ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में शरण ली है। अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘‘देश के विभिन्न हिस्सों में विस्थापित मणिपुरी लोगों को आगामी चुनावों में अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने में सक्षम बनाने के लिए निर्वाचन आयोग के अधिकारी बातचीत कर रहे हैं लेकिन उनके लिए विशेष व्यवस्था करने की अब तक कोई योजना नहीं है।’’