40 सदस्यीय मिजोरम विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने दो स्थानीय पार्टियों पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (PC) और ज़ोरम नेशनलिस्ट पार्टी (ZNP) के साथ 'मिजोरम सेक्युलर अलायंस' (MSA) का गठन किया है। मिजोरम प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एमपीसीसी) के अध्यक्ष लालसावता ने शनिवार को कहा कि बीजेपी के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने के लिए शुक्रवार को एमएसए का गठन किया गया था।
प्रस्ताव का जिक्र कर क्या बोले कांग्रेस नेता?
कांग्रेस नेता लालसावता ने एमएसए द्वारा अपनाए गए प्रस्ताव का जिक्र करते हुए अन्य राजनीतिक दलों से मिज़ो और उनके धर्म के अस्तित्व के लिए गठबंधन में शामिल होने का आग्रह किया। आरोप लगाया गया है कि जब से भगवा पार्टी और उसके सहयोगी 2014 में केंद्र में सत्ता में आए हैं, तब से अल्पसंख्यक समुदायों, खासकर आदिवासियों को तबाह करने और कई कानूनों के जरिए हिंदू राज्य स्थापित करने के ठोस प्रयास किए गए हैं, जिसके लिए मिजोरम सेक्युलर गठबंधन मूक दर्शक बने रहना नहीं चाहता।
मौजूदा विधानसभा में कांग्रेस के पांच सदस्य
एमएसए के प्रस्ताव में कहा गया है कि भारत उन शीर्ष देशों में से एक बन गया है, जहां ईसाई सुरक्षित नहीं हैं। मौजूदा विधानसभा में कांग्रेस के पांच सदस्य हैं, जबकि पीसी और जेडएनपी का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। दूसरी ओर, मिजोरम के मुख्यमंत्री और सत्तारूढ़ मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) के अध्यक्ष जोरमथांगा ने दावा किया कि उनकी पार्टी इस साल के अंत में होने वाले अगले विधानसभा चुनावों में सत्ता बरकरार रखेगी। उन्होंने कहा कि 10 से अधिक सीटें हैं, जहां एमएनएफ के पास मजबूत संगठनात्मक आधार है, जबकि पार्टी की अन्य सीटों पर पर्याप्त पकड़ है।
पिछले चुनाव में एमएनएफ ने जीती थीं 28 सीटें
बता दें कि सत्तारूढ़ एमएनएफ ने 2018 के विधानसभा चुनावों में 28 सीटें जीतीं, जबकि जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) ने छह सीटें, कांग्रेस ने पांच और बीजेपी ने एक सीट जीती। इस बीच, आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारियों की समीक्षा के लिए चुनाव आयोग की 20 सदस्यीय टीम 29 अगस्त को मिजोरम का दौरा करने वाली है।