मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है। उन्होने कहा कि मणिपुर में हालात सुधर नहीं रहे हैं। शिलांग में नॉर्थ ईस्ट काउंसिल के 71वें पूर्ण सत्र के इतर पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि भारत सरकार और आदिवासी नेताओं के बीच बातचीत के जरिए समस्या का समाधान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मणिपुर में हिंसा कई महीने से जारी है। राज्य की बदतर स्थिति की वजह से राष्ट्रपति शासन लागू करने की जरुरत है।
शरण लेने वालों की मदद करेंगे
उन्होंने कहा कि मणिपुर के जिन लोगों ने मिजोरम में शरण ली है, वे भारतीय हैं। भारतीय संविधान यह प्रावधान करता है कि वे देश में कहीं भी बस सकते हैं। जब तक मणिपुर राज्य में स्थिति सामान्य नहीं हो जाती, हम उनकी देखभाल करेंगे। यह पूछे जाने पर कि क्या केंद्र को हस्तक्षेप करने की आवश्यकता है, मुख्यमंत्री ने ने हां में जवाब दिया। उन्होंने कहा कि देश में कहीं भी परेशानी होने पर हस्तक्षेप करना गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी है। आदिवासी नेताओं और राज्य सरकार के बीच एक समाधान होना चाहिए। इसके लिए गृह मंत्रालय से संपर्क किया जाना चाहिए।
म्यांमार से शरणार्थी आ रहे मिजोरम
उन्होंने कहा, लोग आश्रय के लिए म्यांमार से भागकर हमारे पास आ रहे हैं। म्यांमार के सैनिक शरण मांगने आते रहते हैं, हम उन्हें हवाई मार्ग से भेजते हैं। सेना के करीब 450 जवानों को वापस भेज दिया गया। उन्होंने कहा कि मिजोरम के अंदर आश्रय चाहने वाले शरणार्थियों के साथ अलग व्यवहार नहीं किया जाता बल्कि उनके भाइयों के रूप में व्यवहार किया जाता है।
पीएम ने दी थी ये सलाह
लालदुहोमा ने अपने इंस्टाग्राम पेज पर कहा कि पीएम ने उन्हें इनर लाइन परमिट (आईएलपी) की अधिक समान प्रणाली के लिए एक प्रस्ताव प्रस्तुत करने की सलाह दी थी। फरवरी 2021 में सैन्य तख्तापलट के बाद से म्यांमार के 38,000 से अधिक लोगों ने मिजोरम में शरण ली है। बांग्लादेश के चटगांव पहाड़ी इलाकों से अन्य 1,000 लोग भी मिजोरम आए थे। मिज़ो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के नेतृत्व वाली पूर्व मिज़ोरम सरकार ने म्यांमार के शरणार्थियों को राज्य में शरण लेने की अनुमति देते हुए निर्वासित करने के केंद्र के आदेश का विरोध किया था।