मिजोरम में पिछले पांच साल में कम से कम साल लोग डेंगू से संक्रमित होकर मौत के मुंह में समा चुके हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार राज्य में पिछले पांच साल में 4,209 लोग इस बीमारी का शिकार हुए हैं। इस साल अप्रैल के महीने तक 132 लोग डेंगू की चपेट में आ चुके थे। राज्य के वेक्टर जनित बीमारी नियंत्रण विभाग के अधिकारियों ने बताया कि एक जनवरी से 30 अप्रैल के बीच 132 लोगों के अंदर डेंगू का वायरस पाया गया है।
अइजवाल में राष्ट्रीय डेंगू दिवस के मौके पर एक कार्यक्रम रखा गया था, जिसकी थीम थी समुदाय से जुडें, डेंगू को नियंत्रित करें। इस कार्यक्रम में मिजोरम में डेंगू की स्थिति पर चर्चा की गई। मिजोरम उन राज्यों में शामिल है, जहां डेंगू का प्रभाव कम है। अगर दिल्ली से तुलना करें तो दिल्ली में सिर्फ 2022 में डेंगू के 10183 मामले सामने आए थे और इनमें से 9 मरीजों की मौत हो गई थी। ऐसे में 2019 से अब तक सात मरीजों की मौत का आंकड़ा हैरान करने वाला और सराहनीय है।
2002 में पांच मौतें
वेक्टर जनित बीमारी नियंत्रण विभाग के अधिकारियों ने बताया कि राज्य में 2019 से जिन सात लोगों की मौत डेंगू से हुई है, वह सभी अइजवाल जिले के रहने वाले थे। इनमें से पांच मौतें 2022 में हुई थीं, जबकि 2023 में दो मरीजों ने दम तोड़ दिया था। 2023 में सबसे ज्यादा लोगों के अंदर डेंगू के संक्रमण की पुष्टि हुई थी। कुल 12,949 सैंपल लिए गए थे और 2060 लोगों के अंदर डेंगू का वायरस पाया गया था। 2022 में 5252 सैंपल लिए गए थे और 1868 लोगों के अंदर संक्रमण की पुष्टि हुई थी।
2019 में कम था आंकड़ा
2022 की तुलना में 2019 में राज्य में डेंगू के मरीजों की संख्या बेहद कम थी। कुल 858 सैंपल लिए गए थे और 131 लोगों में डेंगू की पुष्टि हुई थी। कोरोनाकाल में यह संख्या और भी कम हो गई थी। 2020 में राज्य में डेंगू के कुल 67 और 2021 में 83 मामले सामने आए थे। हालांकि, यह कहा जा सकता है कोविड महामारी और उससे पहले स्वास्थ्य सुविधाओं में कमी के चलते डेंगू की जांच का दायरा भी बेहद सीमित था और कम ही लोगों ने इसकी जांच कराई थी।
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