
यवतमाल: महाराष्ट्र के यवतमाल में अनोखी होली खेलने की परंपरा है। यहां होली पर रंगों की बजाय एक दूसरे पर पत्थर फेंके जाते हैं। कहा जाता है कि ये परंपरा 100 सालों पुरानी है। इस होली को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। इस होली के दौरान जो भी व्यक्ति घायल होता है, उसका इलाज नहीं किया जाता बल्कि उसे संत गदाजी महाराज के मंदिर में ले जाया जाता है।
क्या है पूरा मामला?
देश में हर जगह रंग-बिरंगे गुलाल और आतिशबाजी करके होली खेली जाती है, लेकिन यवतमाल जिले के मारेगांव तालुका के गदाची बोरी में पत्थरों से होली खेली जाती है। परंपरा के अनुसार, इस गांव में होली का त्योहार एक-दूसरे पर पत्थर फेंककर मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस तीर्थयात्रा की परंपरा सौ वर्षों पुरानी है। इस गांव में होली पर रंग खेलने की बजाय पत्थर फेंकने की परंपरा है। तीर्थयात्रा के दौरान पत्थरबाजी के इस अद्भुत दृश्य को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। घायल व्यक्ति को चिकित्सा उपचार देने के बजाय, उसे संत गदाजी महाराज के मंदिर में ले जाया जाता है और घायल व्यक्ति के पूरे शरीर पर होली की राख लगाई जाती है।
बता दें कि होली का त्योहार 14 मार्च 2025 को धूमधाम से मनाया गया। देशभर की विभिन्न हस्तियों ने होली की बधाई दी। होली के साथ इस बार रमजान के जुमे की नमाज भी अदा की गई। इसे लेकर देश के विभिन्न स्थानों पर सुरक्षा व्यवस्था को बढ़ा दिया गया था। इसके चलते देश में कहीं भी सांप्रदायिक हिंसा की कोई खबर सामने नहीं आई। 61 साल बाद हिंदू और मुस्लिम धर्म के दो अहम त्योहार साथ थे, लेकिन देशवासियों ने सांप्रदायिक सद्भावना की मिशाल पेश करते हुए शांतिपूर्ण तरीके से त्योहारों का आनंद लिया। हर बार की तरह लोगों ने जमकर रंग खेला और होली की बधाईयां बांटीं। (इनपुट: संजय उत्तमराव राठोड)