Saturday, October 26, 2024
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राज ठाकरे के बेटे के खिलाफ कैंडिडेट वापस लेगी शिवसेना? महायुति जनता को यूं देगी 2 बड़े संदेश

महाराष्ट्र की माहीम विधानसभा सीट पर राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे की जीत में मदद करने के लिए महायुति अपने कैंडिडेट की उम्मीदवारी को वापस लेने पर विचार कर रही है।

Edited By: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Published on: October 26, 2024 16:06 IST
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Image Source : FACEBOOK.COM/AMITTHACKERAYOFFICIAL अमित ठाकरे अपने पिता राज ठाकरे के साथ।

मुंबई: विधानसभा चुनावों के ऐलान के बाद से ही महाराष्ट्र की सियासत में उबाल आया हुआ है। सूबे में मुख्य मुकाबला महायुति और महा विकास अघाड़ी के बीच माना जा रहा है। महायुति में जहां बीजेपी के साथ शिवसेना और एनसीपी हैं, वहीं MVA के घटक दल कांग्रेस, शिवसेना (UBT) और NCP (SP) हैं। दोनों ही धड़ों में कुछ सीटों के बंटवारे को लेकर माथापच्ची चल रही है। हालांकि एक सीट ऐसी है जिस पर महायुति की तीनों पार्टियां अपना दावा छोड़ने के लिए तैयार दिख रही हैं। यह सीट है माहीम की, और यहां से राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं।

अपने उम्मीदवार का नाम वापस ले सकते हैं शिंदे

दरअसल, इस सीट पर एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने भी अपना सदा सरवणकर को अपना उम्मीदवार बनाया है। हालांकि राज ठाकरे के एहसानों का बदला चुकाने के लिए महायुति कुर्बानी देने की तैयारी करती नजर आ रही है। दरअसल, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने लोकसभा चुनावों के दौरान महायुति की खूब मदद की थी। ऐसे में अमित ठाकरे का समर्थन करने के लिए महायुति इस सीट से अपने उम्मीदवार के नाम को पीछे लेने पर विचार कर रही है। इस मुद्दे पर जल्द ही देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार और एकनाथ शिंदे की बैठक होने वाली है। शिवसेना (UBT) ने माहीम सीट से महेश सावंत को उम्मीदवार बनाया है।

एक तीर से 2 शिकार कर सकती है महायुति

अमित की जीत का रास्ता आसान करने करने के लिए बीजेपी ने यह पहल की है। बीजेपी का मानना है कि राज ठाकरे ने लोकसभा चुनाव में महायुति की मदद की थी, और वह हिंदुत्व की विचारधारा को आगे लेकर जा रहे हैं। उन्होंने हमेशा राजनीति में रिश्तों को अहमियत दी है और अब जबकि अमित अपना पहला चुनाव लड़ रहे हैं तो महायुति को भी दोस्ती के रिश्ते को निभाना चाहिए। इस कदम के जरिए महायुति 2 बड़े संदेश देगी। पहला कि वह राज ठाकरे के एहसान का बदला चुकाएगी। दूसरा, जनता में यह संदेश दिया जाएगा कि महायुति के लिए सियासत से बड़ा दोस्ती का रिश्ता है जिसे वह निभा रही है लेकिन सत्ता के लालच में उद्धव ठाकरे भाई का रिश्ता नहीं निभा रहे है।

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