महाराष्ट्र में बीते कुछ सालों से काफी सियासी घटनाक्रम देखने को मिले हैं। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा, शिवसेना और एनसीपी की महायुति को तगड़ा झटका लगा है। वहीं, कांग्रेस, शिवसेना (UBT) और एनसीपी (शरद पवार) की महाविकास अघाड़ी ने बढ़त बनाई थी। अब राज्य में इसी साल आखिर में विधानसभा चुनाव का भी आयोजन होना है। हालांकि, चुनाव की घोषणा से पहले ही अजित पवार को बड़ा झटका लगा है। एनसीपी के कई बड़े नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है। आइए जानते हैं कि महाराष्ट्र में अजित पवार की मुश्किल क्यों बढ़ी हुई है।
किन नेताओं ने छोड़ी एनसीपी?
महाराष्ट्र के पिंपरी चिंचवाड़ में एनसीपी के चार बड़े नेताओं ने पार्टी छोड़ी है। पिंपरी-चिंचवड़ इकाई के प्रमुख अजित गव्हाणे, छात्र विंग के प्रमुख यश साने, पूर्व नगरसेवक, राहुल भोसले और पंकज भालेकर ने अजित का साथ छोड़ दिया है। पिम्परि चिंचवड़ शहर के अजित पवार गुट के कई कार्यकर्ता , पदाधिकारी और पूर्व नगरसेवक शरद पवार की उपस्थिति में शरदचंद्र पवार गुट में शामिल होंगे आपको बता दें कि एनसीपी नेता छगन भुजबल ने भी शरद पवार से मुलाकात की थी। हालांकि, उन्होंने अभी पार्टी छोड़ने का फैसला नहीं किया है।
ये नेता जाएंगे शरद पवार के साथ
- अजित गव्हाने- शहराध्यक्ष
- राहुल जाधव - कार्याध्यक्ष
- हनुमंत भोसले - पूर्व महापौर
- वैशाली घोडेकर - पूर्व महापौर
- समीर मासुळकर - पूर्व नगरसेवक
- पंकज भालेकर - पूर्व नगरसेवक
- समीर वाबळे - पूर्व नगरसेवक
- गीता मंचरकर - पूर्व नगरसेवक
- वैशाली उबाळे - पूर्व नगरसेवक
- शुभांगी बोऱ्हाडे - पूर्व नगरसेवक
- विनया तापकीर - पूर्व नगरसेवक
- संगीता ताम्हाणे - पूर्व नगरसेवक
- वसंत बोऱ्हाटे - पूर्व नगरसेवक
- संजय नेवाळे - पूर्व नगरसेवक
- प्रवीण भालेकर - पूर्व नगरसेवक
- निवृत्ती शिंदे - पूर्व अध्यक्ष, शिक्षण मंडळ
क्यों NCP छोड़ रहे नेता?
दरअसल, लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद अजीत पवार की एनसीपी को झटके लगने शुरू हुए हैं। आपको बता दें कि अजित की एनसीपी ने एनडीए के साथ मिलकर महाराष्ट्र में चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें सिर्फ 1 सीट पर जीत मिली। वहीं, दूसरी ओर शरद पवार की एनसीपी को 8 सीटों पर जीत मिली थी। ऐसे में माना जा रहा है कि कई इलाकों में शरद पवार की पकड़ अभी भी मजबूत है और कई नेताओं को अजित पवार के साथ भविष्य नहीं दिख रहा है।
शरद पवार क्या कह रहे हैं?
शरद पवार ने भी पार्टी में वापसी कर रहे नेताओं को मना नहीं किया है। हालांकि, पवार ने ये जरूर कहा है कि जो लोग पार्टी को कमजोर करना चाहते हैं उन्हें वापस शामिल नहीं किया जाएगा। लेकिन उन नेताओं को वापस जरूर लिया जाएगा जो संगठन को मजबूत करने में मदद करेंगे और पार्टी की छवि को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे।
कैसे बदलती गई सियासी हवा?
आपको बता दें कि शरद पवार की एनसीपी में साल 2023 में विद्रोह हो गया था। पार्टी के ज्यादातर विधायकों के साथ अजित पवार भाजपा-शिवसेना की सरकार में शामिल हो गए थे। पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न भी अजित पवार को भी मिला। हालांकि, जब लोकसभा चुनाव 2024 में अजित का पहला टेस्ट हुआ तो वह ज्यादा बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाए। 4 लोकसभा सीटों में से अजित पवार की एनसीपी सिर्फ एक सीट ही जीत सकी।
महायुति में भी अजित का विरोध
भाजपा-शिवसेना की महायुति में अजित पवार की एनसीपी की हालत तीसरे नंबर की हो गई है। आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद महायुति में भी अजित पवार के खिलाफ आवाजें उठती रही हैं। ऐसे में कई नेताओं को अजित पवार के साथ भविष्य नहीं दिख रहा है और वे बड़ी संख्या में पार्टी छोड़ सकते हैं।
ये भी पढ़ें- महाराष्ट्र: अनंत अंबानी की शादी में बम की धमकी देना पड़ा महंगा, वडोदरा से गिरफ्तार हुआ इंजीनियर