महाराष्ट्र में अब एक बार फिर से राजनीति शुरू हो गई है। इस बार राजनीति नवाब मलिक को लेकर शुरू हुई है। दरअसल अजित पवार ने अपने आवास पर एक बैठक आयोजित की थी जिसमें नवाब मलिक भी शामिल हुए। अब उस बैठक में नवाब मलिक के शामिल होने के बाद से ही राजनीति शुरू हो गई है। एक तरफ जहां अजीत पवार के साथ दल भाजपा और शिवसेना इसपर ऐतराज जता रहे हैं तो वहीं विपक्षी दल के नेता निशाना साध रहे हैं। आइए आपको विस्तार से बताते हैं कि किस पार्टी के नेता ने क्या बयान दिया है।
भाजपा नेता ने कही ये बात
इंडिया टीवी से बात करते हुए भाजपा नेता सुधीर मुगंटीवार ने कहा कि, 'देवेंद्र फडणवीस ने पहले ही एक पत्र लिखकर यह कहा था कि जिस पर गंभीर आरोप है, उसे अपने साथ मत लाइए।' उन्होंने आगे कहा कि नवाब मलिक को बैठक में बुलाया गया था या फिर वे खुद शामिल हुए, इसका आधिकारिक जानकारी नहीं है। मगर देवेंद्र फडणवीस NCP से जानकारी ली जाएगी।
शिवसेना के नेता ने भी जताया विरोध
नवाब मलिक के बैठक में शामिल होने पर NCP के नेता मनिषा कायंदे ने कहा कि वे नवाब मलिक का विरोध कर रहे हैं। उनपर यानी नवाब मलिक पर देशद्रोह का आरोप है और उनका विरोध कायम रहेगा। इस मुद्दे को लेकर अजित पवार को सफाई देनी चाहिए।
कांग्रेस ने लगाया आरोप
बैठक में नवाब मलिक के शामिल होने की बात को कांग्रेस ने विधान परिषद चुनाव से जोड़ दिया। महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय वड्डेटीवार ने कहा कि, नवाब मलिक NCP की बैठक में दिखाई दिए और अब देवेंद्र फडणवीस को यह स्पष्ट करना होगा कि नवाब मिलक महायुति में शामिल हैं या फिर नहीं हैं क्योंकि नवाब मलिक पर गंभीर आरोप भाजपा ने ही लगाया था। उन्होंने आगे कहा कि विधान परिषद चुनाव के लिए अजित पवार को नवाब मलिक का वोट चाहिए और शायद इसलिए ही उन्हें बैठक में बुलाया था।
NCP(SP) के नेता ने क्या कहा?
इस मामले पर एनसीपी(SP) के नेता जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि, इससे हमारा क्या लेना देना कि बैठक में कौन जा रहा है। वे हमारी बैठक में नहीं आए थे। अब यह स्पष्ट हो गया है कि वो जिसके बैठक में थे, उनके साथ हैं। हम उनके घर वापसी की बात क्यों करें।
अजित पवार ने सफाई में क्या कहा?
इंडिया टीवी ने इस मामले में अजित पवार से सवाल पूछा कि 'नवाब मलिक बैठक में आए थे तो क्या वो आपके साथ जुड़ गए?' इस सवाल पर अजित पवार ने कुछ ज्यादा तो नहीं बोला। उन्होंने कहा 'आपको तकलीफ हो रही है क्या?' खैर अब देखना होगा कि इस मामले में आगे क्या होता है और भाजपा और शिवसेना क्या करती है।
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