मुंबई: धारावी की शुभानिया मस्जिद को लेकर आज सुबह से ही विवाद जारी रहा। एक तरफ जहां बीएमसी की टीम मस्जिद के अवैध निर्माण को ध्वस्त करने पहुंची तो वहीं स्थानीय लोगों के प्रदर्शन के बाद मस्जिद के निर्माण को ध्वस्त करने के लिए आठ दिन का समय दिया गया। हालांकि इसी बीच मस्जिद के ट्रस्टियों ने बीएमसी को चिट्ठी लिखकर खुद ही अवैध निर्माण को ध्वस्त करने के लिए 4 से 5 दिन का समय मांगा है। आइये जानते हैं कि धारावी की इस मस्जिद को लेकर क्या विवाद है और बीएमसी इसपर क्यों कार्रवाई करने पहुंची थी।
रिपेयरिंग के लिए मांगी थी इजाजत
दरअसल, मस्जिद कमेटी का दावा है कि 1984 में चैरिटी कमिशन में मस्जिद का रजिस्ट्रेशन किया गया। यहां पहले बेसिक स्ट्रक्चर था, कुछ साल बाद मस्जिद की छत से मिट्टी गिरने लगी, जिसके बाद बीएमसी से रिपेयरिंग की इजाजत मांगी गई, लेकिन इजाजत नहीं मिली। इसके बाद बिना इजाजत ट्रस्ट ने मस्जिद में अवैध निर्माण करना शुरू किया। अब इस मस्जिद में दो फ्लोर और गुंबद हैं। 2023 में इस मस्जिद में हुए अवैध निर्माण के खिलाफ बीएमसी में शिकायत दायर की गई, जिसके बाद बीएमसी ने नोटिस जारी किया। बीएमसी सर्वे कर यह जानना चाहती थी कि मस्जिद में कितना अवैध निर्माण हुआ है।
डीपीआर ने किया मस्जिद का सर्वे
इस नोटिस के खिलाफ मस्जिद कमेटी ने कोर्ट में याचिका दायर की, तब से कोर्ट में केस चल रहा है। मस्जिद कमेटी का कहना है कि धारावी के अन्य स्ट्रक्चर की तरह यह मस्जिद भी डीपीआर यानी धारावी पुर्नविकास प्राधिकरण के तहत आता है। 12 सितंबर को DRP ने इस मस्जिद का सर्वे भी किया। मस्जिद के ट्रस्टी सवाल उठा रहें है कि, अगर ये जमीन बीएमसी के तहत है तो DPR ने सर्वे कैसे किया। बीएमसी का नोटिस मिलने के बाद मस्जिद कमेटी ने कलेक्टर कार्यालय में भी अपील दायर की है।
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