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रत्नागिरी रिफाइनरी विवाद क्या है? कैसे सरकार की 'हां', लोगों की 'ना' के बीच फंसकर रह गया इतना बड़ा प्रोजेक्ट

भारत सरकार देश के पश्चिम तट पर इस रिफाइनरी का निर्माण करवाना चाहती है। यह रिफायनरी एशिया के सबसे बड़े रिफायनरी प्रोजेक्ट में से एक होगा। देश की तीन प्रमुख तेल कंपनियां - इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम इस प्रोजेक्ट का हिस्सा होंगे

Reported By : Dinesh Mourya Edited By : Swayam Prakash Published on: April 25, 2023 12:17 IST
स्थानीय लोग कर रहे रत्नागिरी रिफाइनरी प्रोजेक्ट का विरोध- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO स्थानीय लोग कर रहे रत्नागिरी रिफाइनरी प्रोजेक्ट का विरोध

भारत सरकार महाराष्ट्र के पश्चिम तट पर मेगा ऑयल रिफायनरी प्रोजेक्ट बनाना चाहती है। साल 2015 में ऐलान किया गया था कि महाराष्ट्र के रत्नागिरी में 'रत्नागिरी रिफायनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड' प्रोजेक्ट' के निर्माण किया जाएगा। पहले यह प्रोजेक्ट रत्नागिरी के नाणार में बनने वाला था लेकिन शिवसेना और स्थानीय लोगों के विरोध की वजह से इस प्रोजेक्ट को उस समय ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। लेकिन ठाकरे सरकार जब सत्ता में आई तब उन्होंने इस प्रोजेक्ट को नाणार के बजाय बारसू-सोलगाव में बनाने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा। सरकार की सहमति के बाद इस प्रोजेक्ट को बनाने की उम्मीद फिर से जागी थी। 

स्थानीय लोग कर रहे प्रोजेक्ट का विरोध

लेकिन इसी बीच सत्ता परिवर्तन हुआ। अब राज्य की शिंदे-फडणवीस सरकार हर हाल में इस प्रोजेक्ट को बनाना चाहती है। सरकार का दावा है इस रिफायनरी प्रोजेक्ट से बड़े पैमाने पर रोजगार की निर्मिती होगी और पूरे क्षेत्र का विकास होगा। लेकिन अब बारसू गांव की साइट पर भी स्थानीय लोगों ने विरोध शुरू कर दिया है। गांव वालों का आरोप है कि इस प्रोजेक्ट की वजह से पर्यावरण पर बुरा असर होगा। उनके फलों के बागान नष्ट हो जाएंगे, रिफाइनरी से निकलने वाले दूषित पानी की वजह से नदियों का जल दूषित हो जाएगा, जिसका सीधा असर मत्स्य पालन व्यवसाय पर होगा।

क्या है रत्नागिरी रिफाइनरी प्रोजेक्ट?
भारत सरकार देश के पश्चिम तट पर इस रिफाइनरी का निर्माण करवाना चाहती है। यह रिफायनरी एशिया के सबसे बड़े रिफायनरी प्रोजेक्ट में से एक होगा। देश की तीन प्रमुख तेल कंपनियां - इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम इस प्रोजेक्ट का हिस्सा होंगे। साथ ही में खाड़ी देशों की दो बड़ी कंपनियां सऊदी अरमाओ और ANDOC जॉइंट भी इस प्रोजेक्ट का हिस्सा होंगे। सरकार का कहना है कि इस प्रोजेक्ट से बड़े पैमाने पर रोजगार का निर्माण होगा और पूरे क्षेत्र का विकास होगा।

आखिर क्यों हो रहा विरोध?
दरअसल, जिस जगह इस प्रोजेक्ट को बनाने का फैसला किया गया है वहां पर मिट्टी का परीक्षण किया जाना था। सोमवार से मिट्टी का परीक्षण होने वाला था लेकिन कल और आज स्थानीय लोगों के विरोध की वजह से मिट्टी परीक्षण नहीं हो पाया। गांव वालों के विरोध को देखते हुए पुलिस ने प्रिवेंटिव अरेस्ट किए हैं। पूरे परिसर में किसी भी बाहरी व्यक्ति के जाने पर रोक लगा दी गई है। सरकार का कहना है कि लोगों की सहमति के बिना उनसे बातचीत किए बिना इस प्रोजेक्ट का निर्माण नहीं किया जाएगा। अभी मिट्टी का सिर्फ परीक्षण किया जा रहा है, परीक्षण में क्या नतीजा आता है उसके बाद इस प्रोजेक्ट पर फैसला लिया जाएगा।

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