महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सिंधुदुर्ग जिले के राजकोट किले में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के ढहने के लिए तेज हवाओं को जिम्मेदार ठहराया है। छत्रपति शिवाजी महाराज की 35 फीट की मूर्ति का अनावरण पिछले साल दिसंबर में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। सिंधुदुर्ग में शिवाजी की मूर्ति ढहने की घटना पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अजीबोगरीब बयान दिया है। उन्होंने कहा, “हमारी भावनाएं उनसे (शिवाजी महाराज) जुड़ी हुई हैं। हम उन्हें भगवान की तरह पूजते हैं। तेज हवा के कारण प्रतिमा ढह गई, यह दुर्भाग्य की बात है। हमारे मंत्री वहां गए हैं और स्थिति का निरीक्षण कर रहे हैं।''
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मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मूर्ति गिरने की घटना को "दुर्भाग्यपूर्ण" बताया और कहा कि सरकार इसके कारण का पता लगाएगी और मूर्ति को उसी स्थान पर फिर से स्थापित करेगी। वहीं, महाराष्ट्र के मंत्री दीपक केसरकर ने कहा कि पीडब्ल्यूडी मंत्री रवींद्र चव्हाण ने कहा है कि मामले की गहन जांच की जाएगी।
एफआईआर हुई दर्ज
भारतीय नौसेना ने सोमवार को महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग में छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति के ढहने को लेकर "गहरी चिंता" व्यक्त की है। इसने कारण का विश्लेषण करने और मरम्मत कार्य शुरू करने के लिए एक टीम भी नियुक्त की है। वहीं, इस मामले में सिंधुदुर्ग पुलिस ने ठेकेदार जयदीप आप्टे और संरचनात्मक सलाहकार चेतन पाटिल के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) धारा 109, 110, 125, 318 और 3(5) के तहत प्राथमिकी दर्ज की है।
समाचार एजेंसी एएनआई ने भारतीय नौसेना के एक बयान का हवाला देते हुए बताया, "इस दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना के कारण की तुरंत जांच करने और जल्द से जल्द मूर्ति की मरम्मत, मरम्मत और पुन: स्थापित करने के लिए कदम उठाने के लिए एक टीम नियुक्त की गई।"
राजनीतिक बयानबाजी जारी
इस मामले को लेकर राजनीतिक बयानबाजी भी जारी है। प्रियंका चतुर्वेदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर सवालों की एक सूची पोस्ट की और लिखा, “ठेकेदार कौन था? क्या यह सही है कि काम ठाणे के एक ठेकेदार को दिया गया था? ठेकेदार पर क्या कार्यवाही होगी? ठेकेदार ने 'खोके सरकार' को कितने 'खोके' दिए?''
असदुद्दीन ओवैसी ने इस घटना को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला. “नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटन की गई 35 फीट की शिवाजी प्रतिमा आज ढह गई। यह मोदी सरकार द्वारा निर्मित बुनियादी ढांचे की खराब गुणवत्ता को दर्शाता है। शिवाजी समानता और धर्मनिरपेक्षता के प्रतीक थे, उनकी प्रतिमा का ढहना नरेंद्र मोदी की शिवाजी के दृष्टिकोण के प्रति प्रतिबद्धता की कमी का एक उदाहरण है।''