कल्याण: महाराष्ट्र में महायुती की सरकार है और इनका नारा है "सबका साथ सबका विकास"..। लेकिन जमीनी हकीकत इस नारे से बिल्कुल अलग है। यहां सुदूर आदिवासी इलाकों में आज भी महिलाओं को डिलीवरी के लिए डोली में लिटाकर अस्पताल ले जाया जा रहा है। यहां सुदूर कस्बों में डिलीवरी की सुविधा नहीं है। कल्याण के मुरबाड इलाके में लोग आज भी जरूरी सुविधाओं की बाट जोह रहे हैं।
विकास पर कोई ध्यान नहीं
मुंबई से कुछ दूरी पर कल्याण के मुरबाड तालुका आज भी मूलभूत सुविधाओं की कमी को झेल रहा है। यहां से किसन कथोरे बीजेपी के विधायक हैं। प्रदेश में इन्ही के गठबंधन की सरकार होने के बावजूद यह इलाका विकास की रोशनी से अछूता रहा है। इस तालुका में 2014 से 2019 तक बीजेपी के पास कई पद रहे हैं, लेकिन विकास पर ध्यान नहीं रहा।
स्वास्थ्य केंद्र का अभाव
अगर इस इलाके में अचानक किसी व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्या का सामना करना पड़े तो उसे अस्पताल तक पहुंचाने के लिए एंबुलेंस तक की व्यवस्था नहीं है। नतीजा जो जानें बचाई जा सकती थी, उसे भी नहीं बचाया जा सका। 5 अगस्त 2023 को सरपंच बरकुबाई किसन हिलम (55 वर्ष) को सांप ने काट लिया और सही वक्त पर उन्हें इलाज नहीं मिल पाया। लिहाजा उनकी मृत्यु हो गई। उनके दामाद सुभाष टीकाराम वाघ (35 वर्ष) को भी सांप ने काटा था और डोली से अस्पताल जाने में काफी वक्त लग गया। इलाज के दौरान इनकी भी मौत हो गई।
डिलीवरी के लिए डोली का सहारा
दो मौतों के बाद भी इस इलाके में न तो सड़क की सही व्यवस्था हो पाई न ही स्वास्थ्य सुविधाओं का इंतजाम। इसी कस्बे की रहनेवाली चिंत्रा संदीप पवार को शनिवार सुबह पांच बजे लेबर पेन शुरू हुआ और डिलिवरी के लिए डोली के जरिए ओजीवाले लाया गया। इस कस्बे के चार युवाओं ने डोली के जरिए उसे सरकारी अस्पताल पहुंचाया जहां उसने बच्चे को जन्म दिया। जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।
(रिपोर्ट-सुनील शर्मा, कल्याण)