चुनाव आयोग द्वारा एकनाथ शिंदे गुट को असली शिवसेना मानते हुए पार्टी का नाम और सिंबल के इस्तेमाल की अनुमति दे दी गई है। इस बाबत चुनाव आयोग ने पाया कि शिवसेना का मौजूदा संविधान अलोकतांत्रिक है। चुनाव आयोग का इस मामले पर कहना है कि उद्धव ठाकरे गुट द्वारा बिना चुनाव के लिए अपने लोगों को पार्टी में पदाधिकारी बनाया गया है। बता दें कि एकनाथ शिंदे ने चुनाव आयोग के इस फैसले को लोकतंत्र की जीत बताया है। इस मामले में अब उद्धव ठाकरे सुप्रीम कोर्ट जाने वाले हैं। उद्धव ठाकरे की शिवसेना सोमवार को चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने वाले हैं। उद्धव ठाकरे गुट द्वारा चुनाव आयोग के फैसले को स्थगित करने की मांग की जाएगी।
मास्टर प्लान तैयार
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा अगर उद्धव ठाकरे की इस मांग को मंजूरी नहीं दी गई तो उद्धव ठाकरे समेत पार्टी के सभी विधायकों और सांसदों की मुश्किलें बढ़ जाएंगी। वहीं एकनाथ शिंदे यानी शिवसेना का व्हिप उद्धव गुट को लागू करना होगा। शिवसेना और एकनाथ शिंदे का उद्धव ठाकरे ग्रुप के खिलाफ मास्टर प्लान तैयार हो चुका है। वहीं 27 फरवरी से महाराष्ट्र के लिए शुरू वाले बजट सत्र में शिवसेना विधानसभा और विधान परिषद दोनों में व्हिप जारी करेगी। इस बाबत व्हिप का उल्लंघन करने वाले विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की भी तैयारी है।
शिवसेना के कार्यालयों पर एकनाथ का अधिकार
बता दें कि उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे विधानसभा सदस्य हैं और उद्धव ठाकरे विधान परिषद के सदस्य हैं। दोनों को भी इस व्हिप को मानना होगा। वहीं उनके साथ खड़े सभी विधायकों को भी व्हिप का पालन करना होगा। बता दें कि अगर सुप्रीम कोर्ट में उद्धव ठाकरे की अपील को मंजूर नहीं किया जाता है तो शिवसेना के नाम पर अलॉट सभी संपत्ति, कार्यालयों पर एकनाथ शिंदे और शिवसेना अपना दावा पेश करेगी। साथ ही विधानसभा, विधानपरिषद, मुंबई महानगरपालिका और दूसरी महानगर पालिकाओं और नगर परिषदों के शिवसेना कार्यालय पर अपना दावा पेश करेगी।
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