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अगर उद्धव ने महाराष्ट्र संकट के दौरान भुजबल की मदद ली होती तो आज भी सीएम होते- अजित पवार

महाराष्ट्र के पूर्व डिप्टी सीएम अजीत पवार ने कहा कि शिवसेना के 15 विधायकों ने जब पार्टी से बगावत की थी, उद्धव ठाकरे को तब छगन भुजबल की मदद लेनी चाहिए थी। वह ऐसे परिदृश्यों के मास्टर हैं। अगर उद्धव ने उनसे संपर्क किया होता, तो वह महाराष्ट्र के सीएम होते।

Edited By: Swayam Prakash @swayamniranjan_
Updated on: October 14, 2022 6:22 IST
LoP and former Maharashtra Deputy CM Ajit Pawar- India TV Hindi
Image Source : ANI LoP and former Maharashtra Deputy CM Ajit Pawar

Highlights

  • NCP नेता अजीत पवार ने दिया बड़ा बयान
  • "भुजबल की मदद ली होती तो ठाकरे सीएम होते"
  • छगन भुजबल के 75वें जन्मदिन के कार्यक्रम का था मौका

महाराष्ट्र के पूर्व डिप्टी सीएम अजीत पवार ने कहा कि अगर उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र संकट के दौरान राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल की मदद ली होती, तो वह (उद्धव ठाकरे) आज भी मुख्यमंत्री होते। छगन भुजबल के 75वें जन्मदिन पर आयोजित एक कार्यक्रम में शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस के गठबंधन महा विकास आघाड़ी (एमवीए) के कई नेता शामिल हुए। नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला, NCP प्रमुख शरद पवार और कांग्रेस के नेता बालासाहेब थोराट भी कार्यक्रम में शरीक हुए। 

उद्धव ठाकरे ने भुजबल की मदद ली होती तो...

महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजित पवार ने छगन भुजबल के 75वें जन्मदिन के मौके पर NCP के गठन में उनकी भूमिका को याद किया और बताया कि कैसे उन्होंने 2002 में संकट में घिरी विलासराव देशमुख की सरकार को बचाने में अहम किरदार अदा किया था। इतना ही नहीं अजित पवार ने कहा, “यदि उद्धव ठाकरे ने (हालिया संकट के दौरान जिसके चलते एमवीए सरकार गिर गई) भुजबल की मदद ली होती, तो वह आज भी मुख्यमंत्री होते।” महाराष्ट्र के पूर्व डिप्टी सीएम अजीत पवार ने कहा कि 1999 में राकांपा का गठन होने के महज चार महीने बाद महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव हो गए। अगर पार्टी के पास और समय होता तो यह और सीटें जीत सकती थी और भुजबल मुख्यमंत्री बनते। 

"शिवसेना नहीं छोड़ी होती तो मुख्यमंत्री होते"
इस दौरान अजित पवार ने जब छगन के सीएम बनने वाली बात कही तो इस पर उद्धव ठाकरे ने कहा कि अगर भुजबल शिवसेना न छोड़ते तो उससे बहुत पहले ही मुख्यमंत्री बन गए होते। उद्धव ठाकरे ने कहा, “अब मैं ऐसा व्यक्ति बन गया हूं, जिसे कोई झटका नहीं लगता। लेकिन जब भुजबल ने शिवसेना छोड़ी थी, तो मैं स्वीकार करता हूं कि हमारा परिवार स्तब्ध रह गया था। वह गुस्सा (जो उस समय निकला) राजनीतिक था। हम लंबे समय तक इस बात को पचा नहीं पाए कि हमारे परिवार का एक सदस्य हमें छोड़कर चला गया है।” 

गौरतलब है कि एक समय शिवसेना के तेजतर्रार नेता रहे छगन भुजबल ने 1990 में बाल ठाकरे की पार्टी शिवसेना छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया था। इसके बाद जब शरद पवार ने राकांपा का गठन किया, तो वह उनके साथ चले गए। 

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