Sunday, December 15, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. महाराष्ट्र
  3. चुनाव में मिली करारी हार के बाद उद्धव ठाकरे का मन बदला, हिंदुत्व की ओर वापसी?

चुनाव में मिली करारी हार के बाद उद्धव ठाकरे का मन बदला, हिंदुत्व की ओर वापसी?

उद्धव ठाकरे ने हाल ही में केंद्र सरकार से यह जानने की कोशिश की कि भारत ने बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाए हैं।

Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Published : Dec 15, 2024 19:56 IST, Updated : Dec 15, 2024 20:03 IST
उद्धव ठाकरे- India TV Hindi
Image Source : PTI उद्धव ठाकरे

शिवसेना (यूबीटी) ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 20 नवंबर को मिली करारी हार के बाद अपने मूल हिंदुत्व एजेंडे पर वापसी के संकेत दिए हैं। पार्टी ने हाल के दिनों में बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को लेकर केंद्र सरकार पर हमला किया और अब मुंबई के दादर स्टेशन स्थित 80 साल पुराने हनुमान मंदिर की "रक्षा" के लिए सक्रिय हो गई है, जिसे रेलवे ने ध्वस्त करने का नोटिस जारी किया है।

हनुमान मंदिर की रक्षा के लिए हुई सक्रिय

शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे ने हाल ही में इस मंदिर में ‘महा आरती’ की थी, यह संकेत देते हुए कि पार्टी अब हिंदुत्व के मुद्दे पर बीजेपी को घेरने के लिए तैयार है। इससे पहले 6 दिसंबर को पार्टी के एक अन्य नेता मिलिंद नार्वेकर ने बाबरी मस्जिद के विध्वंस की तस्वीर पोस्ट की और बाल ठाकरे के आक्रामक बयान का हवाला दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था, "मुझे उन लोगों पर गर्व है जिन्होंने यह किया।" यह बयान विवाद का कारण बना और इससे असहज समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अबू आजमी ने महा विकास आघाडी (MVA) से शिवसेना (यूबीटी) का पीछा छोड़ने की बात कही।

बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार को लेकर केंद्र पर हमला

उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के मुद्दे पर केंद्र सरकार से सवाल पूछा था। उन्होंने यह जानने की कोशिश की कि भारत ने बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाए हैं। पर्यवेक्षकों का कहना है कि यह कदम पार्टी के राजनीतिक रुख में बदलाव का संकेत हो सकता है, खासकर विधानसभा चुनाव में मिली हार और आगामी नगर निकाय चुनावों को देखते हुए।

पार्टी की रणनीति में बदलाव

2019 में बीजेपी से नाता तोड़ने के बाद शिवसेना (यूबीटी) ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन किया था, लेकिन पार्टी ने अपने 'मराठी मानुस' के नारों पर ध्यान केंद्रित रखा। 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों और नगर निकाय चुनावों को लेकर पार्टी अपने राजनीतिक एजेंडे में बदलाव कर रही है। नवंबर में हुए विधानसभा चुनावों में शिवसेना (यूबीटी) को 288 सीटों में से केवल 20 सीटों पर जीत मिली, जो उसकी आधार पर गिरावट का संकेत था। इसके अलावा पार्टी के पारंपरिक मतदाता आधार से भी उसे नुकसान हुआ है, खासकर मुंबई के कुछ इलाकों में।

'धर्मनिरपेक्ष' रुख और हिंदुत्व की ओर वापसी

राजनीतिक विश्लेषक अभय देशपांडे के अनुसार, 2019 में शिवसेना ने अपना रुख बदलकर एक नया मतदाता आधार प्राप्त किया था, लेकिन विधानसभा चुनावों के परिणाम ने यह स्पष्ट कर दिया कि पार्टी ने अपना पारंपरिक मतदाता आधार खो दिया है। देशपांडे ने कहा कि पार्टी का धर्मनिरपेक्ष रुख अब महाराष्ट्र के शहरी इलाकों में कारगर नहीं रहा और यही कारण है कि शिवसेना (यूबीटी) अब अपने हिंदुत्व एजेंडे पर वापस लौट रही है।

शिवसेना की विचारधारा पर उठे सवाल

'जय महाराष्ट्र - हा शिव सेना नवाचा इतिहास आहे' (जय महाराष्ट्र - यह शिव सेना का इतिहास है) के लेखक प्रकाश अकोलकर ने कहा कि पार्टी की हिंदुत्व की ओर वापसी चुनावी असफलताओं से उसकी 'हताशा' के कारण है। अकोलकर ने कहा, "2019 में मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद पहले सत्र में उद्धव ठाकरे ने कहा था कि उनकी पार्टी ने धर्म को राजनीति के साथ मिलाकर गलती की है। अब पार्टी अपने मुख्य हिंदुत्व के मुद्दे पर वापस जा रही है। इससे पता चलता है कि पार्टी के पास कोई वास्तविक विचारधारा नहीं है।" (भाषा)

ये भी पढ़ें-

MP कांग्रेस का बड़ा विधानसभा घेराव, 50,000 से ज्यादा कार्यकर्ता करेंगे प्रदर्शन, जान लीजिए मुद्दा क्या है

"एक देश, एक चुनाव" पर बृजभूषण शरण सिंह की आई प्रतिक्रिया, कांग्रेस पर लगाया बड़ा आरोप

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। News in Hindi के लिए क्लिक करें महाराष्ट्र सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement