मुंबईः शिवसेना (उद्धव गुट) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की खुलकर प्रशंसा की है। उन्होंने सामना अखबार में अपने एडीटोरियल के जरिए फडणवीस के हालिया गढ़चिरौली दौरे की सराहना की है। ठाकरे ने न केवल फडणवीस की मेहनत और जमीनी काम को सराहा, बल्कि उन्हें “गढ़चिरौली का मसीहा” तक कह डाला। साथ ही इसी लेख में पूर्व सीएम और मौजूद उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की खिंचाई भी की गई है। इसके बाद महाराष्ट्र का सियासी पारा गरम हो गया है।
उद्धव ठाकरे ने जमकर की फडणवीस की तारीफ
उद्धव ठाकरे ने लिखा कि फडणवीस ने गढ़चिरौली जैसे नक्सल प्रभावित क्षेत्र में विकास की जो लकीर खींची है, वह राज्य के लिए प्रेरणादायक है। उन्होंने यह भी कहा कि फडणवीस का दौरा सिर्फ एक औपचारिकता नहीं था, बल्कि उन्होंने वहां के लोगों की समस्याओं को सुनकर तत्काल समाधान देने की कोशिश की।
संजय राउत ने कही ये बात
सामना के इस लेख पर संजय राउत ने कहा कि महाराष्ट्र में मधुर संगीत की राजनीति का चलन है तो वहीं सुप्रिया सुले ने भी फडणवीस की तारीफ करते हुए कहा कि इस सरकार में कोई काम करते नजर आता है तो सिर्फ देवेंद्र फडणवीस ही हैं।
बीजेपी की सामने आई प्रतिक्रिया
वही सामना के लेख पर विरोधी और सत्ता पक्ष से नेताओं की मिली जुली प्रतिक्रिया आ रही है। महाराष्ट्र बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि सामना से पहले भी उम्मीद थी कि वह हमारे अच्छे किए हुए काम को आगे ले जाए, हमारी पीठ थपथपाये। चलो ठीक है देर से ही सही। सामना ने देवेंद्र फडणवीस की तारीफ की है। सामना से उम्मीद है कि वह आगे भी हमारे काम की तारीफ करें।
शिंदे गुट ने ठाकरे पर साधा निशाना
शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता संजय शीरसाठ ने कहा कि मुझे लगता है पिछले कुछ दिनों में उन्होंने (उद्धव) अपने दिमाग का इलाज करा लिया है, हकीकत उनके सामने आ गई है। जो दिन का शुरुआत करते ही गालियां देना शुरू करते थे अब उनके सुर बदल गए हैं। उनके गठबंधन के नेताओं ने उनका साथ छोड़ दिया है। पार्टी इतनी कमजोर हो गई है कि आगे पीछे कोई नजर नहीं आ रहा। उन्हें अब सहारे की जरूरत है और सहारा ढूंढने के लिए तारीफ करना शुरू किया है।
सीएम फडणवीस का भी आया बयान
वहीं, जहां उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की पार्टी ने इसे शिवसेना उद्धव गुट की “राजनीतिक मजबूरी” बताया। वहीं खुद सीएम फडणवीस ने कहा कि अच्छा है मेरे काम की तारीफ हो रही है धन्यवाद।
क्या सोचते हैं राजनीतिक विश्लेषक
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उद्धव ठाकरे के इस बयान के पीछे कई सियासी कारण हो सकते हैं। महाराष्ट्र में कॉर्पोरेशन,नगर निगम और स्थानीय स्वराज संस्थाओं के चुनाव पास हैं और भाजपा-शिवसेना के बीच संबंध सुधरने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। सवाल ये उठता है कि क्या यह महाराष्ट्र की राजनीति में किसी बड़े बदलाव का संकेत है? या यह सिर्फ उद्धव ठाकरे की एक रणनीतिक चाल है? आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बयान का राज्य और केंद्र की राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ता है।