मुंबई : महाराष्ट्र बीजेपी के सीनियर नेता चंद्रकांत पाटिल के बयान पर सूबे की सियासत गर्मा गई है। उन्होंने दावा किया था कि छह दिसंबर 1992 को बजरंग दल और दुर्गा वाहिनी ने ढहाया था, उस समय उस जगह के पास शिवसेना का एक भी कार्यकर्ता मौजूद नहीं था। चंद्रकांत पाटिल के इस बयान पर उद्धव ठाकरे ने पलटवार करते हुए कहा कि जब बाबरी गिराई गई तब कोई भी चूहा बाहर नहीं आया था और अब ऐसे कई चूहे बाहर निकल रहे हैं। इतने वर्षों बाद इनकी आवाज़ बाहर आ रही है। चंद्रकांत पाटिल जी का इस्तीफा लेना चाहिए।
मैंने खुद बाला साहेब को बाबरी गिरने की जानकारी दी-उद्धव
उद्धव ने कहा- जब बाबरी गिराई जा रही थी तब आज के नेता( पीएम) शायद हिमालय में थे। उस समय कहा गया था की बाबरी गिराने वाले बीजेपी के नहीं बल्कि शिवसैनिक थे। मैंने खुद बाला साहेब को बाबरी गिरने की जानकारी दी थी। बाल ठाकरे ने तब कहा था - ये कैसा नपुंसक नेतृत्व है जो जिम्मेदारी नहीं ले रहा है। उद्धव ठाकरे ने कहा कि मुगलों का इतिहास मिटाते-मिटाते अब ये लोग हिंदुओं का इतिहास मिटाने लगे है।
क्या पाटिल का इस्तीफा लेंगे शिंदे-उद्धव
उद्धव ठाकरे ने कहा- मैने सीएम (एकनाथ शिंदे) को नहीं बोल रहा हूं, सीएम पद का सम्मान होना चाहिए लेकिन आज जो शिंदे गद्दारी कर वहां गए है क्या वो पाटिल का इस्तीफा लेंगे? बाल ठाकरे का अपमान करने वाले के साथ वे कैसे रहेंगे? उस समय आडवाणी ने कहा था की बाबरी पर खड़े लोग मराठी में बात कर रहे थे। उद्धव ठाकरे ने कहा कि दरअसल ये बयान बीजेपी की चाल है।
चंद्रकांत पाटिल से मेरी बात हुई है-एकनाथ शिंदे
वहीं इस मामले पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि मेरी मेरी चंद्रकांत दादा पाटिल से बात हुई है। उनका कहना है कि उनके कहने का मतलब ये था कि जो मुझसे पहले मुख्यमंत्री थे जिनका भी नाम आप अभी ले रहे थे (उद्धव ठाकरे के बारे में) वो उस वक़्त कहां थे। उनकी बाला साहब ठाकरे के प्रति उनकी भूमिका बिल्कुल स्पष्ट है। अयोध्या में जो विवादित ढांचा था और जो घटना घटी तब बाला साहब ठाकरे ने शिवसैनिकों के लिए उद्गार व्यक्त किया था और कहा था कि मुझे अपने शिवसनिकों पर अभिमान है और यह जगजाहिर है। और उसी वक्त गर्व से कहो हम हिंदू हैं का नारा बाला साहब ठाकरे ने दिया था।
बाला साहब ठाकरे ने अपनी भूमिका पुरोजर तरीके से रखी-शिंदे
जब यह केस चल रहा था तब लखनऊ के कोर्ट में बाला साहब ठाकरे लालकृष्ण आडवाणी, अशोक सिंघल, उमा भारती, सब लोग वहां मौजूद थे। तब कोई पक्ष नहीं था। सभी राम भक्त थे और तब बाला साहब ने अपनी भूमिका सबको बताई थी और यह बात जगजाहिर है। उसके बाद मुंबई में जो दंगे हुए अगर बाला साहब ठाकरे नहीं रहते तो क्या होता ? बाला साहब ठाकरे ने मुंबई की रक्षा की है, मुंबईकरो को बचाने का काम किया है। जब-जब भी राज्य पर या देश पर संकट आया है बाला साहब ठाकरे ने अपनी भूमिका पुरजोर तरीके से सामने रखी थी चाहे वह सावरकर का मुद्दा हो या फिर हिंदुत्व का मुद्दा हो या फिर देश हित का मुद्दा हो।
सावरकर का जब अपमान होता है तो मुंह नीचे करके बैठ जाते हैं- शिंदे
शिंदे ने कहा कि अभी जो लोग बोल रहे हैं उनको क्या बोलने का अधिकार है । सावरकर का जब अपमान होता है तो मुंह नीचे करके चुपचाप बैठ जाते हैं और सहन करते हैं। जो सावरकर का अपमान कर रहे हैं उनके साथ घूमते हैं । जिसने राम मंदिर का विरोध किया, अयोध्या का विरोध किया उनके साथ गले मिल रहे हैं। वह दूसरों को क्या सिखाएंगे। हमारी भूमिका स्पष्ट है। जो बाला साहब का सपना था कि अयोध्या में राम मंदिर होना चाहिए और कश्मीर में धारा 370 हटना चाहिए, उन सपनों को इस देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरा किया है। धारा 370 हटाने का सपना गृह मंत्री अमित शाह ने पूरा किया और इनको क्या अधिकार है बोलने का? इनको नैतिक अधिकार नहीं है बोलने काय़ इन लोगों ने नैतिकता गंवा दी है।
यह भी पढ़ें-
उमेश पाल मर्डर केस: माफिया अतीक अहमद के खिलाफ वारंट-B जारी, फिर साबरमती से लाया जा रहा प्रयागराज
भारत में आज मिले 5,676 नए कोरोना मरीज, Covid-19 संक्रमितों की संख्या हुई 37 हजार के पार