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मशहूर लेखक के घर चोरी करने गया चोर, बाद में हुआ पछतावा तो लौटा दिया सामान

महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में एक चोरी ने वापस से चोरी का सामान लौटा दिया। दरअसल, चोरी के बाद चोर को पता चला कि उसने एक मशहूर मराठी लेकर के घर में चोरी कर ली है। इसके बाद उसे इस बात का पछतावा हुआ और उसने चोरी का सामान लौटा दिया।

Edited By: Amar Deep
Published on: July 16, 2024 14:28 IST
चोर ने लौटाया चोरी का सामान।- India TV Hindi
Image Source : PEXELS/REPRESENTATIVE IMAGE चोर ने लौटाया चोरी का सामान।

मुंबई: रायगढ़ जिले में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक चोर ने चोरी के बाद दोबारा से सामान वापस लौटा दिया है। दरअसल, चोर को उस समय पछतावा हुआ जब उसे पता चला कि उसने एक प्रसिद्ध मराठी लेखक के घर से कीमती सामान चुराया था। इसके बाद पश्चाताप करते हुए चोर ने चुराया गया सामान लौटा दिया। पुलिस ने मंगलवार को इस घटना के बारे में जानकारी दी। 

मराठी लेखक थे नारायण सुर्वे

पुलिस ने बताया कि चोर ने रायगढ़ जिले के नेरल में स्थित नारायण सुर्वे के घर से एलईडी टीवी समेत कीमती सामान चुराया था। मुंबई में जन्मे सुर्वे एक प्रसिद्ध मराठी कवि और सामाजिक कार्यकर्ता थे। अपनी कविताओं में शहरी मजदूर वर्ग के संघर्षों को स्पष्ट रूप से दर्शाने वाले सुर्वे का 16 अगस्त 2010 को 84 वर्ष की उम्र में निधन हो गया था। सुर्वे की बेटी सुजाता और उनके पति गणेश घारे अब इस घर में रहते हैं। वह अपने बेटे के पास विरार गए थे और उनका घर 10 दिनों से बंद था। 

कई दिनों से खाली था घर

कई दिनों से घर बंद देखकर चोरी घर में घुसा और एलईडी टीवी समेत कुछ सामान चुरा ले गया। अगले दिन जब वह कुछ और सामान चुराने आया तो उसने एक कमरे में सुर्वे की तस्वीर और उन्हें मिले सम्मान आदि देखे। चोर को बेहद पछतावा हुआ। पश्चाताप स्वरूप उसने चुराया गया सामान लौटा दिया। इतना ही नहीं, उसने दीवार पर एक छोटा सा ‘नोट’ चिपकाया, जिसमें उसने महान साहित्यकार के घर चोरी करने के लिए मालिक से माफी मांगी। नेरल पुलिस थाने के निरीक्षक शिवाजी धवले ने बताया कि सुजाता और उनके पति जब रविवार को विरार से लौटे तो उन्हें यह ‘नोट’ मिला। 

सुर्वे ने बताया श्रमिकों का संघर्ष

उन्होंने बताया कि पुलिस टीवी और अन्य वस्तुओं पर मिले उंगलियों के निशान के आधार पर आगे की जांच कर रही है। बचपन में माता-पिता को खो चुके सुर्वे मुंबई की सड़कों पर पले-बढ़े थे। उन्होंने घरेलू सहायक, होटल में बर्तन साफ ​​करने, बच्चों की देखभाल करने, पालतू कुत्तों की देखभाल, दूध पहुंचाने, कुली और मिल मजदूर के रूप में काम किया था। अपनी कविताओं के माध्यम से सुर्वे ने श्रमिकों के संघर्ष को बताने का प्रयास किया। (इनपुट- भाषा)

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