जाको राखे साइयां मार सके न कोई... इस कहावत को आपने अब तक सुना होगा, पर नागपुर में ये सच हो गया। नागपुर न्यू ईरा हॉस्पिटल में एक 5 वर्षीय बच्ची घायल अवस्था में पहुंची। जब वह बच्ची हॉस्पिटल पहुंची, उसके गले से होता हुआ त्रिशूल का एक हिस्सा मुंह में घुस गया था। डॉक्टरों की टीम ने इसके बाद ऑपरेशन किया और लड़की की जान बचा ली। डॉक्टर भी इस पूरी घटना को चमत्कार बता रहे हैं। डॉक्टरों के मुताबिक, मात्र 1 सेंटीमीटर की दूरी पर श्वास नली एवं अन्य नली थी। न्यू ईरा हॉस्पिटल के संचालक डॉ नीलेश अग्रवाल ने बताया कि 5 वर्ष की बच्ची नागपुर के पारडी स्थित शिव मंदिर परिसर में खेल रही थी। खेलते वक्त अचानक उसका पैर फिसला और वह त्रिशूल पर जा गिरी।
त्रिशूल गर्दन और मुंह के आर-पार
डॉ नीलेश अग्रवाल ने बताया कि क्योंकि त्रिशूल गर्दन और मुंह से आर-पार हुआ था। ये काफी मुश्किल काम था पर, टीम ने इस जटिल प्रक्रिया को पूरी करने में नई तकनीकी का उपयोग कर सफल सर्जरी की। डॉ नीलेश अग्रवाल ने बताया कि 5 डॉक्टरों की टीम जिसमें डॉक्टर आनंद संचेती ,निधीश मिश्रा जैसे विशेषज्ञों ने आधुनिक तकनीकी के माध्यम से इस सर्जरी को अंजाम दिया। डॉक्टर ने बताया कि जब वह बच्ची हॉस्पिटल आई तो उसका पूरा चेहरा लहूलुहान हो गया था। डॉक्टरों ने बड़ी सावधानी से उसकी सर्जरी शुरू की, सर्जरी करीबन 2 घंटे चली। जानकारी के मुताबिक, नागपुर के भांडेवाडी एकता नगर निवासी 5 वर्षीय कनक साहू पारडी स्थित अपने रिश्तेदार के यहां गई हुई थी। घर के पास शिव मंदिर परिसर में अपने दोस्तों के साथ खेल रही थी। तभी अचानक उसका पैर फिसला और वह त्रिशूल पर जा गिरी। त्रिशूल का एक हिस्सा उसके गले से होते हुए मुंह से बाहर निकल आया।
लोगों ने फोन करके बताया
कनक साहू की मां ने बताया कि लोगों ने फोन करके बताया कि बच्ची त्रिशूल पर गिर गई है। तुरंत परिवार के सदस्य मंदिर पहुंचे। लोगों ने त्रिशूल काटने वालों को बुलाया। जब त्रिशूल काटने वाला वहां पर पहुंचा, बच्ची के मुंह में त्रिशूल देखने के बाद उसने त्रिशूल काटने से मना कर दिया। त्रिशूल काटने वाला किसी अनहोनी से डर रहा था। तब कनक के पिता ने अपने हाथ में कटर लिया और दूसरे हाथ से बच्ची को संभाल। त्रिशूल का हिस्सा काटकर पिता हॉस्पिटल के लिए निकल पड़े। 2 से 3 हॉस्पिटल में बच्ची की कंडीशन देखते ही उसे एडमिट करने से मना कर दिया। अंत में वह लोग हॉस्पिटल पहुंचे जहां पर बच्ची का इलाज किया गया।
परिवारवाले इसे चमत्कार मान रहे
वहीं कनक ने कहा कि वो अपने दोस्तों के साथ शिव मंदिर में भगवान की पूजा करने के लिए गई थी। खेलते-खेलते उसकी भी इच्छा हुई कि शिवलिंग को जल चढ़ाए। शिवलिंग को जल चढ़ाते-चढ़ाते उसका पैर फिसला और वह त्रिशूल पर जा गिरी। परिवार वालों का कहना है कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि बच्ची बच पाएगी। लेकिन डॉक्टरों ने वह कर दिखाया जिसे किसी को उम्मीद नहीं थी। परिवारवाले इसे चमत्कार मान रहे हैं।
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