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'दुनिया में खत्म हो रही है कुटुंब व्यवस्था, सिर्फ भारत में बची है'; विदर्भ में बोले संघ प्रमुख मोहन भागवत

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि पूरी दुनिया में सिर्फ भारत में ही कुटुंब व्यवस्था बची है। पूरी दुनिया में यह खत्म हो रही है।

Reported By : Yogendra Tiwari Edited By : Niraj Kumar Published : Sep 05, 2023 20:54 IST, Updated : Sep 05, 2023 22:00 IST
मोहन भागवत, संघ प्रमुख
Image Source : इंडिया टीवी मोहन भागवत, संघ प्रमुख

नागपुर : राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने महाराष्ट्र के विदर्भ में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि पूरी दुनिया से कुटुंब व्यवस्था खत्म होती जा रही है। सिर्फ भारत ही एक मात्र ऐसा देश है जो इससे बचा हुआ है। संघ प्रमुख ज्येष्ठ नागरिक महामंडल विदर्भ के कार्यक्रम में बोल रहे थे। 

भारत की संस्कृति को उखाड़ फेंकने के कई प्रयास हुए

अपने संबोधन में उन्होंने देश की संस्कृतिक विरासत का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि यहां कुटुंब व्वयवस्था अब भी कायम है। उन्होंने कहा कि सत्य इसका आधार है और  हमारी संस्कृति की जड़ें उसी सत्य के आधार पर मजबूत है। इस संस्कृति को उखाड़ फेंकने के कई प्रयास किए गए। वह प्रयास सुल्तानी भी थे और आसमानी भी थे। 

वहीं, राष्ट्रपति भवन में G-20 शिखर सम्मेलन के रात्रिभोज के निमंत्रण पत्र पर 'प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया' के बजाय 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' लिखे जाने पर मचे सियासी घमासान को लेकर जब संघ प्रमुख से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि प्रचार प्रसार विभाग इस बारे में बतायेगा, उन्हें इस संबंध में मालूम नहीं है।

भारत एक "हिंदू राष्ट्र" 

इससे पहले एक सितंबर को मोहन भागवत ने नागपुर में एक कार्यक्रम में कहा था कि भारत एक "हिंदू राष्ट्र" है और सभी भारतीय हिंदू हैं तथा हिंदू सभी भारतीयों का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने लोगों की अपेक्षाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि संघ को इस सबके बारे में सोचना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘हिंदुस्तान एक 'हिंदू राष्ट्र' है और यह एक सच्चाई है। वैचारिक रूप से, सभी भारतीय हिंदू हैं और हिंदू का मतलब सभी भारतीय हैं। वे सभी जो आज भारत में हैं, वे हिंदू संस्कृति, हिंदू पूर्वजों और हिंदू भूमि से संबंधित हैं, इनके अलावा और कुछ नहीं।” भागवत ने कहा, “कुछ लोग इसे समझ गए हैं, जबकि कुछ अपनी आदतों और स्वार्थ के कारण समझने के बाद भी इस पर अमल नहीं कर रहे हैं। इसके अलावा, कुछ लोग या तो इसे अभी तक समझ नहीं पाए हैं या भूल गए हैं।” 

भागवत ने कहा कि "हमारी विचारधारा" की दुनियाभर में बहुत मांग है। उन्होंने कहा कि वास्तव में इस विचारधारा का कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा, "हर कोई इसे समझ गया है। कुछ इसे स्वीकार करते हैं, कुछ नहीं।" आरएसएस प्रमुख ने कहा कि स्वाभाविक है कि इस संबंध में वैश्विक जिम्मेदारी देश-समाज और उन मीडिया पर आएगी जो "विचारधारा" का प्रसार करते हैं। भागवत ने पर्यावरण की देखभाल करने और "स्वदेशी", पारिवारिक मूल्यों तथा अनुशासन पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। (इनपुट-एजेंसी)

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