महाराष्ट्र: छह साल पहले एक 10 वर्षीय बच्ची ने अपनी मां को अपनी दादी के द्वारा जलते हुए देखा था। इस जघन्य हत्याकांड के बाद अब ठाणे सत्र न्यायालय ने बच्ची की गवाही के आधार पर उसकी 76 वर्षीय दादी को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। यह मामला 13 अप्रैल 2018 का है, जब बच्ची की मां दक्षा मांगे (30) को उसकी सास जमनाबेन मांगे (76) ने अपनी बहू पर मिट्टी का तेल छिड़ककर आग लगा दी थी। घटना के वक्त बच्ची अपनी मां के पास थी और उसने यह दर्दनाक दृश्य को अपनी आंखों के सामने देखा। बच्ची की गवाही इस मामले में अहम साबित हुई, क्योंकि वह इस घटना की एकमात्र चश्मदीद गवाह थी।
कोर्ट ने 50 हजार का जुर्माना भी लगाया
सत्र न्यायालय के न्यायाधीश डीएस देशमुख ने बुधवार को कहा कि अभियोजन पक्ष ने जमनाबेन मांगे के खिलाफ लगाए गए आरोपों को साबित किया है। कोर्ट ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई और उन पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया। यह जुर्माना मुआवजे के रूप में बच्ची को दिया जाएगा। हालांकि, मृतका के पति अशोक मांगे (40) को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया।
बहू को लगातार प्रताड़ित कर रही थी सास
अतिरिक्त लोक अभियोजक संध्या एच म्हात्रे ने बताया कि दक्षा की सास जमनाबेन उसे लगातार प्रताड़ित कर रही थी और उसे पहले भी घर से निकाल चुकी थी। घटना से करीब ढाई महीने पहले जमनाबेन ने दक्षा को घर से बाहर कर दिया था। उस दिन दक्षा अपनी बेटी का स्कूल में दाखिला कराने के लिए कुछ जरूरी दस्तावेज लेने के लिए ससुराल गई थी। उसी समय जमनाबेन ने रसोई में दक्षा को खींच लिया और उस पर मिट्टी का तेल छिड़ककर आग लगा दी। बच्ची ने शोर मचाया और अपनी मां को बचाने की कोशिश की, लेकिन उसकी मां 80 फीसदी जल गई थी।
बच्ची की चीखें सुन दौड़े आए पड़ोसी
अभियोजन पक्ष के मुताबिक, बच्ची की चीखें सुनकर पड़ोसी घटनास्थल पर पहुंचे। दक्षा को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन अगले दिन उसकी मौत हो गई। बच्ची की चीखें और घटना की पूरी गवाही महत्वपूर्ण साक्ष्य साबित हुई, जिसे कोर्ट ने सही तरीके से लिया। अतिरिक्त लोक अभियोजक संध्या एच म्हात्रे ने बताया कि मामले में सात गवाहों से पूछताछ की, लेकिन बच्ची की गवाही सबसे अहम रही, जिसने कोर्ट में पूरी घटना को स्पष्ट रूप से बयान किया। अभियोक्ता ने अपनी दलीलों में मुकदमे के दौरान महिला कांस्टेबल अमोध सादेकर की ओर से दी गई मदद का भी जिक्र किया। (भाषा)
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