
राज ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर मराठी में बात न करने पर मुंबई के एक प्रमुख सुपरमार्केट स्टोर के एक कर्मचारी को थप्पड़ मारा। पुलिस ने यह जानकारी दी। पुलिस ने बताया कि घटना मंगलवार को अंधेरी (पश्चिम) के वर्सोवा में डी-मार्ट स्टोर में हुई। सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में स्टोर कर्मचारी को एक ग्राहक से यह कहते हुए सुना जा सकता है, ‘‘मैं मराठी में नहीं बोलूंगा, मैं केवल हिंदी में बोलूंगा। तुम्हें जो करना है कर लो।’’ जब मनसे को कर्मचारी की टिप्पणियों के बारे में पता चला, तो पार्टी की वर्सोवा इकाई के अध्यक्ष संदेश देसाई के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं का एक समूह स्टोर पर पहुंचा और कर्मचारी को कथित तौर पर थप्पड़ मारा। इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर भी सामने आया है। अधिकारियों ने कहा कि स्टोर कर्मचारी ने बाद में अपने व्यवहार के लिए माफी मांगी।
कई राज्यों में छिड़ा है भाषाई विवाद
बता दें कि इसी तरह की घटनाएं पिछले कुछ दिनों से अलग-अलग राज्यों में देखने को मिल रही हैं। महाराष्ट्र, कर्नाटक, तिमलनाडु, केरल और पश्चिम बंगाल में इन दिनों भाषा का विवाद छिड़ा हुआ है। इसी बीच महाराष्ट्र के ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट ने मराठी भाषा को लेकर बड़ा फैसला लिया है। दअरसल अब से सभी व्यवसायिक (कॉमर्शियल) गाड़ियों के ऊपर लिखे गए सामाजिक संदेश मराठी भाषा में लिखने होंगे। सरकार की ओर से कहा गया कि आने वाली गुढ़ी पड़वा से यानी 30 मार्च 2025 से इस नियम का पालन सभी कॉमर्शियल वाहनों को करना होगा।
मराठी भाषा को लेकर महाराष्ट्र में नया नियम
महाराष्ट्र में अब सभी कमर्शियल गाड़ियों (ट्रक, बस, रिक्शा) पर मराठी भाषा में सामाजिक संदेश लिखना अनिवार्य कर दिया गया है। ये संदेश शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण और स्वास्थ्य जागरूकता जैसे विषयों पर आधारित होंगे। इनमें 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' और 'एक कदम स्वच्छता की ओर' जैसे संदेश गाड़ियों पर दिखाई देंगे। सरकार का कहना है कि इससे सामाजिक जागरूकता बढ़ेगी। मराठी भाषा के प्रति लोगों की जागरुकता भी बढ़ेगी। आदेश को जारी करते हुए मंत्री परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक ने कहा कि मराठी महाराष्ट्र राज्य की आधिकारिक भाषा है। महाराष्ट्र के नागरिक मुख्यतः मराठी भाषी हैं। पीएम मोदी के प्रयासों से मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त हुआ है। स्वाभाविक रूप से,मराठी भाषा को संरक्षित करना सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है।
(इनपुट-भाषा)