मुंबई. देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में फैल रहे मलेरिया और डेंगू पर कंट्रोल करने के लिए बीएमसी ने 'स्प्रिंकलर ड्रोन' का प्रयोग करने का फैसला किया है। इस ड्रोन के जरिए बीएमसी ऐसे इलाकों में दवा का छिड़काव करेगी, जहां पर बीएमसी के कर्मचारियों का पहुंचना बेहद मुश्किल होता है।
दरअसल हर साल मानसून की शुरुआत के साथ ही मुंबई शहर में वाटर लॉगिंग की वजह से डेंगू और मलेरिया के मामले आने लगते हैं। शहर में सबसे ज्यादा मामले 'जी साउथ' वार्ड से आते हैं। इस वार्ड में वर्ली, प्रभादेवी, लोवर परेल, परेल और महालक्ष्मी जैसे इलाके आते है, जहां पर सबसे ज़्यादा पुरानी और खतरनाक इमारते हैं।
यहां 6 खंडहर बन चुकी मीलें और परेल रेलवे यार्ड है, जोबेहद जरजर हालत में है। इसकी ऊंचाई और बनावट ऐसी है कि वहां बीएमसी कर्मचारियों पहुंचना और डेंगू और मलेरिया के लार्वा पर दवाई का छिड़काव होना बेहद मुश्किल है। ऐसे में दवा के छिड़काव की समस्या को दूर करने के लिए लिए बीएमसी ने जी साउथ वार्ड में 'स्प्रिंकलर ड्रोन' का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है।
7 लाख रुपये है ड्रोन की कीमत, वजह है 15 किलो
बीएमसी द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे इस 'स्प्रिंकलर ड्रोन' की कीमत 7 लाख रुपये हैं। इस ड्रोन की मदद से ऊंचे और मुश्किल जगहों पर पहुंचने और दवाई के छिड़काव में काफी मदद मिलते हैं। 15 किलो वजन के इस ड्रोन के इस्तेमाल को फिलहाल बीएमसी ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत शुरू किया है। फिलहाल इस ड्रोन को ऑपरेट करने के लिए बीएमसी ड्रोन को बनाने वाली कंपनी के पायलट की मदद ले रही है। बीएमसी ने बताया कि वो अपने कर्मचारियों को ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग के साथ उन्हें फ्लाइंग लाइसेंस दिलाने की भी तैयारी कर रही है।