मुंबई: महाराष्ट्र में स्पीकर के फैसले पर शिवसेना उद्धव गुट की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि इस फैसले से उन्हें कोई आश्चचर्य नहीं हुआ। क्योंकि यहां वही होता है जो जो मंजूर-ए-नरेंद्र मोदी और अमित शाह होता है। हम महाराष्ट्र में यही होते हुए देख रहे हैं।
उन्होंने कहा, "मैं बिल्कुल भी आश्चर्यचकित नहीं हूं। हमने सुना था 'वही होता है जो मंजूर-ए-खुदा' होता है'...2014 के बाद एक नई परंपरा शुरू हुई है 'वही होता है जो मंजूर-ए-नरेंद्र मोदी और अमित शाह होता है'। यही हम महाराष्ट्र में होते हुए देख रहे हैं...जिस चीज़ को सुप्रीम कोर्ट ने 'अवैध' और 'असंवैधानिक' कहा था, उसे वैध करने का काम हो रहा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है..."
बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने शिवसेना के 16 विधायकों की अयोग्यता के मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा कि शिंदे गुट ही असली शिवसेना है। उन्होंने कहा कि 21 जून, 2022 को जब प्रतिद्वंद्वी समूहों का उदय हुआ तो शिवसेना का एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाला धड़ा ही ‘असली राजनीतिक दल’ (असली शिवसेना) था।
शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले प्रतिद्वंद्वी धड़े द्वारा एक-दूसरे के विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं पर अपना फैसला पढ़ते हुए नार्वेकर ने यह भी कहा कि शिवसेना (यूबीटी) के सुनील प्रभु 21 जून, 2022 से सचेतक नहीं रहे। विधानसभा अध्यक्ष ने यह भी कहा कि शिवसेना के ‘प्रमुख’ के पास किसी भी नेता को पार्टी से हटाने की शक्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग को सौंपा गया 1999 का पार्टी संविधान मुद्दों पर फैसला करने के लिए वैध संविधान था। उन्होंने कहा कि इस संविधान के अनुसार ‘राष्ट्रीय कार्यकारिणी’ सर्वोच्च निकाय है।