मुंबई: महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में सितंबर में चेचक फैलने के बाद से इस बीमारी से 7 संदिग्ध मौतें हो चुकी हैं। कुछ महीने पहले तक यह शहर कोरोना का भी भयंकर प्रकोप झेल रहा था। BMC ने बुधवार को एक विज्ञप्ति में कहा कि नए 184 मामलों में बुखार और शरीर पर दाने हैं। उसने कहा कि इसके साथ ही शहर में संदिग्ध चेचक के मामले बढ़कर 1,263 हो गए हैं। इन मामलों में 1 से 4 साल तक के आयु वर्ग के 647 बच्चे शामिल हैं। विज्ञप्ति में कहा गया है, 12 नए मरीजों को भर्ती करने के बाद अस्पताल में चेचक के मरीजों की संख्या बढ़कर 80 हो गई है।
चेचक के कारण हुईं 7 मौतें?
BMC के एक अधिकारी ने मंगलवार को कहा था कि सोमवार को एक साल के एक बच्चे की चेचक से मौत हो गई। नल बाजार में रहने वाले बच्चे का इलाज पिछले हफ्ते से BMC द्वारा संचालित कस्तूरबा अस्पताल चिंचपोकली में चल रहा था। BMC ने कहा कि शहर में चेचक के संक्रमण के कारण 7 संदिग्ध मौतें हुई हैं, लेकिन उनकी मौत के सही कारण की पुष्टि समीक्षा समिति की रिपोर्ट आने के बाद ही की जा सकेगी। चेचक का प्रकोप शहर के 8 वार्डों में फैला हुआ है और सबसे ज्यादा मामले एम-ईस्ट वार्ड से हैं, जिसमें गोवंडी और आसपास के क्षेत्र शामिल हैं।
आइसोलेशन वॉर्ड बनाए गए
BMC के मुताबिक, उसने कई अस्पतालों में चेचक के मामूली और गंभीर लक्षण वाले मरीजों के लिए आइसोलेशन वॉर्ड की व्यवस्था की है। कस्तूरबा अस्पताल में 5 वेंटिलेटर के अलावा सबसे ज्यादा 83 बिस्तर उपलब्ध हैं। BMC ने माता-पिता से 9-16 आयु वर्ग के बच्चों को बीमारी के खिलाफ टीका लगवाने की अपील की है। BMC ने पहले कहा था कि चेचक में बच्चे को बुखार, सर्दी, खांसी और शरीर पर लाल दाने हो जाते हैं। उन बच्चों को यह बीमारी गंभीर रूप से अपनी चपेट में ले सकती है, जिन्हें आंशिक रूप से टीका लगाया गया है या जिन्हें टीका नहीं लगाया गया है।