मुम्बई: महाराष्ट्र के पुणे जैसे शहरों में कोरेाना वायरस पर काबू के लिए दस दिनों तक के लॉकडाउन की घोषणा के बीच अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने शुक्रवार को कहा कि अल्पकालिक बंद से इस महामारी को थामने में कोई मदद नहीं मिलेगी। एम्स निदेशक ने कहा कि इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए लॉकडान कम से कम 14 दिनों का होना चाहिए।
एसबीआई द्वारा आयोजित एक आर्थिक सम्मेलन के मौके पर गुलेरिया ने कहा कि बड़े शहरों में अगले कुछ हफ्तों में नये संक्रमण की प्रवृति में स्थिरता या गिरावट आएगी लेकिन पूरे तौर पर नये संक्रमण में कमी आने में अभी कुछ वक्त लगेगा। यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत में रोजाना 23000 से अधिक नये मामले सामने आ रहे हैं और मुम्बई जैसे शहरों में कम संख्या में नये मामले आने से स्थिति में स्थिरता प्रतीत हो रही है।
पढ़ें- 15 अगस्त नहीं दिसंबर तक आ सकती है कोरोना वायरस वैक्सीन: एम्स डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया
इस बयान के कुछ ही घंटे पहले घोषणा की गयी थी कि महाराष्ट्र के पुणे, पिंपड़ी-चिंचवाड और जिले के कुछ अन्य हिस्सों में 13 जुलाई से दस दिनों का लॉकडाउन लगाया जाएगा जबकि ठाणे में चल रहा लॉकडाउन 19 जुलाई तक बढ़ा दिया गया है एवं नांदेड़ में 12 से 20 जुलाई तक कर्फ्यू लगाया जाएगा।
गुलेरिया ने कहा, ‘‘अल्पकालिक लॉकडाउन से संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ने में कोई मदद नहीं मिलने वाली है। आपको एक दूसरे से दूरी बनाकर चलने की जरूरत है। जब लॉकडाउन हटता है तब लोग सारी बातें भूल जाते हैं। आपको निषिद्ध और अन्य क्षेत्रों पर कड़ी नजर रखने की जरूरत है। वायरस को फैलने से रोकने के लिए यह (लॉकडाउन) कम से कम 14 दिनों का होना चाहिए।’’