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महाराष्ट्र सरकार के सहयोगी दलों के बीच खींचतान पर सामना में संपादकीय, कहा-'थोड़ी बहुत कुरकुर तो होगी ही'

बता दें कि महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार में शामिल प्रमुख पार्टियों शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के बीच आपसी खींचतान की खबरें चर्चा में हैं।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: June 16, 2020 10:21 IST
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Image Source : PTI FILE ‘सामना’ में कहा गया है कि शरद पवार समय-समय पर अपने अनुभवों और सुझावों को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ बांटते रहते हैं। 

मुंबई: शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में महाराष्ट्र की महा विकास आघाड़ी सरकार के घटक दलों की आपसी खींचतान के मुद्दे पर बात की गई है। बता दें कि महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार में शामिल प्रमुख पार्टियों शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के बीच आपसी खींचतान की खबरें चर्चा में हैं। इस पर ‘सामना’ के संपादकीय में कहा गया है कि शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली सरकार को कोई खतरा नहीं और थोड़ी-बहुत कुरकुर तो होगी ही।

‘सरकार ने 6 महीने का समय पूरा किया’

सामना में लिखा है, ‘जब उद्धव ठाकरे छह महीने पहले मुख्यमंत्री बने तो महाराष्ट्र ही नहीं, बल्कि पूरे देश में उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया। उस दौरान जिनके पेट में दर्द था, उन लोगों ने पूछा था कि क्या यह सरकार एक महीने भी चल पाएगी? लेकिन वैसा कुछ नहीं हुआ। होने की संभावना भी नहीं है।  सरकार ने छह महीने का चरण पूरा कर लिया है। तीन विविध विचारधारा वाले दलों की सरकार बनी। उस सरकार की बागडोर सर्वसम्मति से उद्धव ठाकरे को दी गई। राज्य के मामले में मुख्यमंत्री का निर्णय ही अंतिम होता है, ऐसा तय होने के बाद कोई और सवाल नहीं रह जाता।’

‘मुख्यमंत्री के साथ अपने अनुभव बांटते हैं शरद पवार’
संपादकीय में कहा गया है कि शरद पवार समय-समय पर अपने अनुभवों और सुझावों को मुख्यमंत्री के साथ बांटते रहते हैं। वहीं, कांग्रेस के बारे में लिखा है कि, ‘कांग्रेस पार्टी भी अच्छा काम कर रही है, लेकिन समय-समय पर पुरानी खटिया रह-रह कर कुरकुर की आवाज करती है। खटिया पुरानी है लेकिन इसकी एक ऐतिहासिक विरासत है। इस पुरानी खाट पर करवट बदलने वाले लोग भी बहुत हैं। इसलिए यह कुरकुर महसूस होने लगी है। मुख्यमंत्री ठाकरे को आघाड़ी सरकार में ऐसी कुरकुराहट को सहन करने की तैयारी रखनी चाहिए।’

‘थोड़ी-बहुत कुरकुर तो होगी ही’
संपादकीय में आगे लिखा है, ‘कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बालासाहेब थोरात का कुरकुराना संयमित होता है। घर में भाई-भाई में झगड़ा होता है। यहां तो तीन दलों की सरकार है। थोड़ी बहुत कुरकुर तो होगी ही।’ संपादकीय के अंत में लिखा है, ‘चाहे कांग्रेस हो या एनसीपी, राजनीति में मंझे लोगों की पार्टी है। उन्हें इस बात का अनुभव है कि कब और कितना कुरकुराना है, कब करवट को बदलना है। खाट कितनी भी क्यों न कुरकुराए, कोई चिंता न करे, बस इतना ही कहना है।’

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