मुंबई: महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे द्वारा एक-दूसरे को चिट्ठियां लिखे जाने के बीच शिवसेना नेता संजय राउत ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। राउत ने कहा है कि शिवसेना ने कभी भी हिंदुत्व को नहीं नकारा है और पार्टी पर सवाल उठाने वालों को आत्मचिंतन करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘शिवसेना ने हिंदुत्व को कभी भी नहीं नकारा है। हमारी पार्टी न हिंदुत्व को भूली है और न भूलेगी। हिंदुत्व शिवसेना का प्राण है, इसकी आत्मा है और यह हमेशा साथ रहेगा। जिन्होंने शिवसेना पर सवाल उठाए हैं उनको आत्मनिर्भर होकर आत्मचिंतन करना चाहिए।’
‘मंदिर और बार की तुलना करना गलत’
महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार पर उठ रहे सवालों के जवाब देते हुए राउत ने कहा, ‘जो उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में 3 पार्टी की सरकार चल रही है, वह बहुत मजबूत है और नियमों का पालन करके चल रही है। मंदिर और बार की तुलना करना गलत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आज कहा है कि महाराष्ट्र में कोरोना का खतरा टला नही है। यदि देश के प्रधानमंत्री को यहां कोरोना का खतरा लग रहा है तो महाराष्ट्र के राज्यपाल को सोचना चाहिए। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को जनता के हित में फैसला लेने का पूरा अधिकार है।’
ठाकरे ने कोश्यारी को लिखी चिट्ठी
इस बीच सीएम ठाकरे ने राज्यपाल कोश्यारी को सूचित किया है कि राज्य में कोविड-19 संबंधी हालात की पूरी समीक्षा के बाद धार्मिक स्थलों को पुन: खोलने का फैसला किया जाएगा। ठाकरे ने कोश्यारी के सोमवार को लिखे पत्र के जवाब में मंगलवार को कहा कि राज्य सरकार इन स्थलों को पुन: खोलने के उनके अनुरोध पर विचार करेगी। कोश्यारी ने अपने पत्र में कहा था कि उनसे 3 प्रतिनिधिमंडलों ने धार्मिक स्थलों को पुन: खोले जाने की मांग की है। ठाकरे ने अपने जवाब में कहा कि यह संयोग है कि कोश्यारी ने जिन 3 पत्रों का जिक्र किया है, वे बीजेपी के पदाधिकारियों और समर्थकों के हैं। कोश्यारी RSS से जुड़े रहे हैं और बीजेपी के उपाध्यक्ष रह चुके हैं।
कोश्यारी ने पूछा था, आप धर्मनिरपेक्ष हो गए?
कोश्यारी ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा था, ‘क्या आप अचानक धर्मनिरपेक्ष हो गए हैं?’ इसके जवाब में ठाकरे ने सवाल किया कि क्या कोश्यारी के लिए हिंदुत्व का मतलब केवल धार्मिक स्थलों को पुन: खोलने से है और क्या उन्हें नहीं खोलने का मतलब धर्मनिरपेक्ष होना है। ठाकरे ने कहा, ‘क्या धर्मनिरपेक्षता संविधान का अहम हिस्सा नहीं है, जिसके नाम पर आपने राज्यपाल बनते समय शपथ ग्रहण की थी। लोगों की भावनाओं और आस्थाओं को ध्यान में रखने के साथ साथ, उनके जीवन की रक्षा करना भी अहम है। लॉकडाउन अचानक लागू करना और समाप्त करना सही नहीं है।’