शरद पवार के राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के अध्यक्ष पद से इस्तीफे के एलान के बाद से ही पार्टी के कार्यकर्ता उनसे ये फैसला वापस लेने की लगातार मांग कर रहे हैं। इसी कड़ी में शरद पवार गुरुवार के दिन आंदोलन कर रहे कार्यकर्ताओं के बीच बात करने पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने कहा था कि मैं आप सभी की इच्छा को नजरअंदाज नहीं करूंगा और उसी के मुताबिक फैसला लूंगा। इस्तीफा देने के बाद शरद पवार के सुर बदले बदले नजर आ रहे हैं। गुरुवार को वाय बी सेंटर की सीढ़ियों पर शरद पवार के समर्थक आंदोलन कर रहे थे। इस दौरान वे नारेबाजी कर रहे थे और शरद पवार को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर बने रहने की मांग कर रहे थे।
शरद पवार का रुख पड़ा नरम
इस दौरान शरद पवार ने कहा कि ये बात सच है कि ऐसे फैसले लेते वक्त सहकारियों से चर्चा करने की जरूरत होती है। मैन इस बारे में सोचा भी था। लेकिन मुझे पता था कि अगर मैं आप लोगों से चर्चा करता तो आप लोग मुझे निश्चित तौर पर ये फैसला लेने नहीं देते। लेकिन आप लोगों से चर्चा करने के बाद मुझे निर्णय लेना चाहिए था, जो मैने नहीं किया लेकिन उस फैसले के पीछे का क्या उद्देश्य था वो मैंने अभी आप लोगो को बताया। अब ये जो फैसला लिया है। उस संदर्भ में चर्चा करने के लिए महाराष्ट्र के बाहर से भी आप के जैसे कई सहकारी आए हैं। उनसे बात करके एक से दो दिन में निर्णय लिया जाएगा। कल शाम तक मेरी उनसे चर्चा होगी।
कार्यकर्ताओं की मांग
उन्होंने कहा कि फैसला लेते वक्त कार्यकर्ता के मन की जो भवना है उसे नजरअदाज नहीं किया जाएगा। इतना ही मैं कहना चाहता हूं और फैसले के बाद आप लोगों को इस तरह से बैठना नही पड़ेगा। अब सवाल ये है कि आखिर शरद पवार अपने इस्तीफे के फैसले को वापस लेने के संकेत आखिर क्यों दे रहे हैं। सूत्रों की माने तो पार्टी के भीतर जो कद्दावर नेता हैं, उन्होंने अपनी नाराजगी शरद पवार के सामने साफ तौर पर रख दी है। शरद पवार ने जब राष्ट्रवादी कांग्रेस का गठन किया तब पार्टी में रहे कई नेता शरद पवार के नेतृत्व पर भरोसा करते हुए कांग्रेस छोड़ राष्ट्र्वादी कांग्रेस में साल 1999 में आ गए थे। पार्टी के वरिष्ठ नेता ने नाम न लेने की शर्त पर कहा कि शरद पवार ने कांग्रेस छोड़ते वक्त अपनी पार्टी का नाम तक नही सोचा था। तब हमने कांग्रेस छोड़कर शरद पवार के नेतृत्व भरोसा किया और उनके साथ आ गए।
टूट सकती है पार्टी?
अब जबकि अगले साल 2024 में लोकसभा का चुनाव और ठीक 6 महीने बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में उनका राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हट जाना उचित कदम नहीं होगा। वरिष्ठ नेता ने बताया कि पार्टी के भविष्य के लिए सही नहीं होगा। अगर वो अपने निर्णय पर कायम रहते है तो फिर कई लोग पार्टी छोड़ सकते हैं। लोकसभा चुनाव 2024 के ठीक पहले शरद पवार पद पर बने नहीं रहे तो जिन नेताओ के नाम की चर्चा शुरू है, उन नामों पर सहमति बननी मुश्किल है। बता दें कि शरद पवार के इस्तीफे के बाद सप्रिया सुले, प्रफुल पटेल के नाम की चर्चा जोरों पर है। अब पार्टी न टूटे यह केवल शरद पवार के फैसले पर टिका हुआ है।