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शरद पवार ने 25 साल पहले ही बीजेपी को विभाजनकारी कह दिया था: संजय राउत

संजय राउत ने कहा कि शरद पवार ने 25 साल पहले ही कहा था कि बीजेपी एक विभाजनकारी पार्टी है, लेकिन शिवसेना को इस सच्चाई का अहसास 2 साल पहले ही हुआ।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: December 11, 2021 18:55 IST
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Image Source : PTI शिवसेना के सांसद संजय राउत ने शनिवार को भारतीय जनता पार्टी (BJP) को इशारों-इशारों में विभाजनकारी पार्टी बताया।

Highlights

  • संजय राउत ने मराठी में शरद पवार के दिए गए भाषणों का संग्रह ‘नेमकेची बोलाने’ नामक पुस्तक के विमोचन पर यह बात कही।
  • राउत ने कहा, करीब 25 साल पहले शरद पवार ने कहा था कि भारतीय जनता पार्टी देश में एकता नहीं चाहती।
  • पिछले कुछ वर्षों में हमने देखा है कि संसद में सवाल पूछने की कोशिश करने वालों का विरोध किया जा रहा है: राउत

मुंबई: शिवसेना के सांसद संजय राउत ने शनिवार को भारतीय जनता पार्टी (BJP) को इशारों-इशारों में विभाजनकारी पार्टी बताया। राउत ने बीजेपी के साथ अपनी पार्टी के मौजूदा रिश्तों की ओर इशारा करते हुए कहा कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) प्रमुख शरद पवार ने 25 साल पहले ही कहा था कि भारतीय जनता पार्टी एक विभाजनकारी पार्टी है, लेकिन शिवसेना को इस सच्चाई का अहसास 2 साल पहले ही हुआ। संजय राउत ने विभिन्न राजनीतिक रैलियों में मराठी में शरद पवार के दिए गए भाषणों का संग्रह ‘नेमकेची बोलाने’ नामक पुस्तक के विमोचन पर यह बात कही।

‘इस पुस्तक को नरेंद्र मोदी को उपहार में देना चाहिए’

शिवसेना सांसद राउत ने कहा, ‘करीब 25 साल पहले शरद पवार ने कहा था कि भारतीय जनता पार्टी देश में एकता नहीं चाहती। इसके तरीके विभाजनकारी हैं। इसका एहसास हमें 2 साल पहले हुआ था। उन्होंने यह भी कहा था कि बीजेपी की नीतियां ऐसी हैं जो देश को पीछे ले जाएंगी। हालांकि, हमें इसे महसूस करने में काफी समय लगा।’ पुस्तक के शीर्षक का उल्लेख करते हुए राउत ने कहा, ‘पुस्तक का नाम इतना अच्छा है कि हम सभी को इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उपहार में देना चाहिए। उन्हें कुछ चीजें जानने की जरूरत है।’

‘अब हमने इसे वास्तविकता के रूप में देखा है’
राउत ने कहा कि संसद का केंद्रीय सभागार पार्टियों के नेताओं और वरिष्ठ पत्रकारों के अलावा अन्य राजनेताओं के बीच बैठकों के लिए जाना जाता था, जो विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करते थे। उन्होंने कहा, ‘हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में हमने देखा है कि संसद में सवाल पूछने की कोशिश करने वालों का विरोध किया जा रहा है और उन्हें दबाया जा रहा है।’ राउत ने कहा कि सवाल उठाने के बुनियादी अधिकारों से इनकार बहुसंख्यकवाद का मार्ग प्रशस्त करता है। राज्यसभा सांसद ने कहा, ‘पवार ने कुछ साल पहले यह कहा था और अब हमने इसे वास्तविकता के रूप में देखा है।’

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