शरद पवार गुट ने चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। चुनाव आयोग ने 6 फरवरी को अपने फैसले में अजित पवार गुट को ही असली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) बताया। चुनाव आयोग ने पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न घड़ी अजित गुट को दे दिया। इससे पार्टी के संस्थापक शरद पवार को बड़ा झटका लगा। इसके बाद चुनाव आयोग ने शरद पवार के नेतृत्व वाले गुट के लिए पार्टी का नाम 'राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरद चंद्र पवार' यानी NCP शरद चंद्र पवार आवंटित कर दिया।
दरअसल, 6 महीने से अधिक समय तक चली 10 से अधिक सुनवाई के बाद चुनाव आयोग ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) में विवाद का निपटारा किया और अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट के पक्ष में फैसला सुनाया। आयोग ने अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए शरद पवार गुट को अपने नए राजनीतिक गठन के लिए एक नाम का दावा करने और आयोग को तीन प्राथमिकताएं प्रदान करने का विकल्प भी दिया।
अजित गुट ने SC में कैविएट दाखिल किया है
शरद पवार गुट ने चुनाव आयोग के सामने तीन नाम रखे और शरद गुट बरगद के पेड़ को प्रतीक चिह्न के लिए मांग कर रहा था। शरद पवार गुट ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शरद पवार, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शरद चंद्र पवार और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शरदराव पवार नाम चुनाव आयोग के सामने रखे थे, जिसमें से चुनाव आयोग ने 'एनसीपी शरद चंद्र पवार' नाम दे दिया। वहीं, चुनाव आयोग के फैसले के बाद अजित पवार गुट सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और उन्होंने कैविएट दाखिल किया। अजित गुट ने अपील करते हुए कहा था कि अगर शरद पवार गुट कोई याचिका दाखिल करता है, तो उनका पक्ष भी सुना जाए। कोर्ट एकतरफा रोक का आदेश न दे।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, शरद पवार और अजित पवार के बीच मतभेद के बाद NCP में दोनों के अलग-अलग गुट बन गए थे। एक गुट शरद पवार का और दूसरा अजित पवार का था। पिछले साल 2 जुलाई को अजित पवार ने शरद पवार के खिलाफ बगावत कर दी। उन्होंने NCP के 8 विधायकों के साथ शिंदे के नेतृत्व वाली NDA सरकार से हाथ मिला लिया। इसी दिन महाराष्ट्र सरकार में अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। अन्य विधायकों को भी कैबिनेट में मंत्री बनाया गया।
वहीं, जून 2022 में शिंदे और शिवसेना के 39 अन्य विधायकों ने महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर दी थी। शिवसेना के दो हिस्से हो गए थे। इसके बाद शिवसेना, NCP और कांग्रेस की महाविकास अघाड़ी गठबंधन सरकार गिर गई। शिंदे ने इसके बाद बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली। एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाया गया।
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