मुंबईः महाराष्ट्र में एमवीए यानी महा विकास आघाडी में क्या उद्धव ठाकरे अलग थलग पड़ गए हैं? ये सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि उद्धव ठाकरे की दोनों मांगे कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी ने खारिज कर दी है। दरअसल, ठाकरे ने पहले कहा था कि एमवीए में मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया जाए जिस पर शरद पवार और कांग्रेस ने एमवीए को ही चेहरा बताया था। इसके बाद उद्धव ठाकरे ने कहा था ककि जिसके ज़्यादा विधायक उसका मुख्यमंत्री न बनाया जाए। शरद पवार और कांग्रेस ने उद्धव के इस फ़ॉर्मूले को भी बुधवार को ख़ारिज कर दिया। शरद पवार ने आज कोलापुर में कहा कि संख्या बल के आधार पर ही एमवीए में मुख्यमंत्री तय किया जाएगा।
शरद पवार ने कहा कि मुख्यमंत्री चेहरा कौन होगा। इस पर कोई विवाद नही है। अब इस मुद्दे को बढ़ाने का कोई मतलब नहीं है। कई बार ऐसा होता है कि चुनाव के बाद संख्या बल के आधार पर सीएम पद का फैसला लिया जाता है। फिलहाल ऐसी कोई परिस्थिति नहीं है। बहुमत क्या होगा हमें पता नहीं है। हमें बहुमत मिलेगा इसकी उम्मीद है, लेकिन इस विषय में अभी कुछ चर्चा करने की आवश्कता नहीं है।
शरद पवार ने उदहारण देते हुए कहा कि 1977 के चुनाव में पीएम का चेहरा तय नहीं था। जय प्रकाश नारायण ने उस वक्त लोगों को आहवान किया था कि सब इक्कठा हो। चुनाव हुए नतीजे सामने आए। फिर सबने मुराराजी देसाई का नाम पीएम के लिए दिया। चुनाव में वोट मांगने पर किसी ने भी देसाई का नाम पर वोट नही मांगा था। इसलिए चेहरा का नाम जाहिर करने की जरूरत नही है। हम एक साथ बैठेंगे और लोगो को एक नया विकल्प देंगे।
वहीं, शरद पवार के बाद आज प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने भी उद्धव ठाकरे की मांग ठुकरा दी। शरद पवार के बयान को कांग्रेस ने समर्थन दिया है। नाना पटोले ने पुणे में कहा कि शरद पवार ने जो कहा उचित ही कहा है। चुनाव में हम महा विकास आघाडी के तौर पर ही जाएंगे और एमवीए ही हमारा संख्याबल होगा। सीएम हम बाद में तय करेंगे। इसके पहले भी उद्धव जी ने उस दिन एमएवीए के कार्यक्रम में बात उठाई थी पर उसी दिन कार्यकर्ताओं के सामने साफ़ कहा कि एमवीए ही हमारा चेहरा होगा।
शरद पवार और कांग्रेस के उद्धव ठाकरे की मांग को ख़ारिज करने के बाद भी उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने कहा कि उनकी पार्टी MVA में मुख्यमंत्री पद को लेकर चर्चा जारी रखेगी। आदित्य ठाकरे ने औरंगाबाद में कहा कि मुख्यमंत्री पद को लेकर आगे भी शिवसेना अपनी बात रखेगी और इस मुद्दे पर चर्चा होती रहेगी। साथ ही सीट शेयरिंग को लेकर भी खींचतान होगी लेकिन इसका मतलब यह नहीं होगा कि गठबंधन टूट जाएगा।
उद्धव ठाकरे की मांग पर कांग्रेस और शरद पवार ने ब्रेक लगा दिया। एक तरह से सीएम की पोस्ट अब उनके और उनके पार्टी के लिए वैकेण्ट छोड़ने से मना कर दिया। ऐसे में अब जिस तरह से शरद पवार और कांग्रेस रियेक्ट कर रहे हैं उसे उद्धव ठाकरे भी मन ही मन आहत नज़र आ रहे हैं। गुरुवार को सांगली में कांग्रेस के दिवंगत नेता पतंगराव क़दम के पुतले के अनावरण कार्यक्रम में राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे और शरद पवार शामिल होंगे लेकिन उद्धव ठाकरे ने निजी व्यस्तता और पहले से तय का हवाला देते हुए इस कार्यक्रम से दूरी बनायी है।